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________________ चौबोस स्थान दर्शन कोष्टक २०१७ नियंच गति । २ १५ नंदा को. नं. , देखो १रगगग में १-२ गुण १.२ के भंग में। का भग पचभु दर्शन. का भंग में कोई १ चच न य दर्जन दर्शन जानना । जानना या थे रागण में गुगण में ३ केभंग में ३ का मंन नोनों दर्शन ३ का भंग । से कोई जानना दर्शन जानना १ भग १ नेण्या १ भंगलेल्या ३.६-३-: के भंग ३-१ भग (E) कर्म भूमि में ii) कर्म भूमि में इन गुना में ने मग में के भंग में गे ले गगा। में लेने गया में के मंग में का भग-एकन्द्रिब ये ३वा भंग कई अश्या का भग-एकन्द्रिय मे मंजी | ३ का भंग से कोई १ असंजो पवेन्द्रिय तक तीन जानना पनेन्द्रिय सक जीवों में अशुभ लट्या जानना अशुभ लेश्या जानना। न्या जानना १ मे ४ गुगा में ये ४ नग में भंन में में I का भंग मंत्री पनेन्द्रिय का भंग 'कोई नया! थाहगाल यहां नहीं होता i तियनों में है ही लया । जानना |(| भोग भूमि में जानना १२. नन्ग में ---४ गुगण में लेष्मा ५३ गुगल में में गम में कभन में न का भंग कापोन : का भंग ३ शुभ का भंग -कोनेटया मेरा जानना लढ्या जानना जानना (२) भोग भूमि में मृगना-लम्च्य पर्याप्तक मे । गण में १ मे ४ गग्गमे क भंग में में गंग दिय तियंच के मध्यान का भंग : शुभ न्नेष्या का भंग काई। नश्या गग स्थान और पशुभ जानना : जानना लेण्या जानना (म्रो गो का मुचना-पर्यास चवस्था में मियाटिया । मा०२६- ओर ५४६) । मध्यष्टि जीबों को पीन लया के प्रचम अंश ही होते हैं दिखो गो० क. मा. )
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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