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________________ चौतीस स्थान दशन कोष्टक २०१६ नरक गति में - - - - - - - - - - - - - - - - - -- - - असयम सारे भग । १ जान सारे भंग १जान कुजान, ज्ञान ३ -३के भग बुधवधिनान घटाकर ) ये ६ जान जानना १० म० मे १-२-गुग में : के भग में .३ के भग ३का के भग का भंग गे कोई १ज्ञान (११ गामे का मंगल गमाग में तीन कुजान जानना ! जानना मनि कृयन ये २ जानन। काभन जानना के से (कुमति-श्रुत-कुनधि) 1) मा में में काई जान । (२) ४८ नुग में ४थे गुगग में ।३ के भंग में मे का भग मनि-त्रत- का भंग जानना। ४३ गुगा में : का भंग तीन ज्ञान का भग कोई १ज्ञान अवधि ज्ञान ये 2 का भंग | ३ के भंग में से (मलि-थल-प्रपंधि जान) । जानना भूचना-पह का भम पट्टएर । काई १ न जानना नरक की अपेक्षा जानता । जानना १३ संयम १ मे ४ गुना में । असंयम १४ये गुगा में प्रनयम । १ सयम १ प्रनयम जानना १धनयम जानना १४ दर्शन १ भग । १ दर्शन प्रचक्ष दर्षन १. २.३ के भंग 12-के भंग चल दर्शन १, (E) ले रे गुग में | ले रे गुरण में। २ के भंग में ) ले गण में ले गुण में । के भंग में से अवधि दर्शन २ का भग २ का मंग से कोई १ दर्शन का भंग पर्याप्तवत् २ का भंग कोई १ दर्शन ये ३ दर्शन मानना प्रचक्षु दर्शन १, चक्षु दर्शन | जानना । (२) मा में । ४थे मूसा में के भंग में से १ये २ का भंय जानना ३ का भग पारितवन का मंन । कोई१दर्शन (२)रे ये गुमा में |३रे ४ये गुण में ३ के भंग में से गुचना -यहां का भंग । ३ का अंग सामान्यबन तीनों ३ का भंग कोई १ दर्शन ' पहले नरक की अपेक्षा । दर्शन जानना । जानना । जानना। १५ तेश्या | १ भंग । १लेश्या । १ भंग | लेश्या अनुभमेश्या । |३ का भंग जानना ३ के भंग में से ले थे गुगण में काम ३ का भंग कृष्ण-नील-कागोता कोई । लेश्या । ३ का भंग पर्याप्नवत । कोई १ लेश्या ये ३ अशुभ लेश्या जानना । | जानना । जानना १६ भव्यत्त । १ भंग १बस्था । १ भंग १अवस्था भव्य, प्रभव्य । २.-१ के भंग २-२ के भंग । (१) ने गुगण में । रले मुम्मा में २ के भंग पें । (१) १ले गुण. में ले गुण- में | २ क भग में
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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