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________________ चौतीस स्थान दर्शन क्रम स्थान १ १ गुसा हणन २ जीव समस ३ पर्याप्त ४ प्राण ५. संजा ६ गति ७ इन्द्रिय जाति काय योग को नं० १ देखो 5 ९ १० वेद ११ कवाय १२ ज्ञान १३ म १४. १५ लेप्या १६ भव्यन्व १७ सम्यवस्थ १८ मं मामान्य ग्रालाप १६ २० उपयोग २१ ध्यान २२ व २ पर्यात ( १ ) कोष्टक नं० १४ नाना जीवों की अपेक्षा १ प्रयोग केवली गु स्थान १ की पंचेन्द्रिय पर्यास अवस्था ६ ६ का मंग को नं० १८ के मुजि १ आयु प्राण जानना (०) अपगत संज्ञा जानना १ मनुष्यगति जानना १ पत्रिय जाति जानना १ सकाय जानना (०) प्रयोग जानना (७) अपगवेद जानना (e) कपाय जानना १ केवल ज्ञान जानना १ यवाख्यान संयम जानना १ केवल दर्शन जानना (c) मलेच्या जानना -१ भव्यत्य जानना १ क्षायिक सम्याव जानना (०) अनुभव संजी (नसंज्ञो न यज्ञी) ? अनाहारक जानना १गल दर्शनोपयोग ये (२) १ ब्रतमानिनी शुध्यात (a) खवरहिन अवस्था जानना एक जीव के नाना समय में १ १ १ भंय ६ का मंग १ युगपत जानना १ ० प्रयोग केवलो गुण स्थान पर्यात एक जीव के एक समय में १ १ मंग २ का भंग १ · १ २ युगपत् जानना T ६-७-६ सूचना: इस प्रयोग केवलो सूरण स्थान में पर्यात प्रवस्था नहीं होती है।
SR No.090115
Book TitleChautis Sthan Darshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAadisagarmuni
PublisherUlfatrayji Jain Haryana
Publication Year1968
Total Pages874
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Pilgrimage, & Karm
File Size16 MB
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