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टीकाकार का परिचय
आप वर्षों तक भा० दि० जेन महासभा के साप्ताहिक मुखपत्र जैन से सफर मापन हो है नाम दि० जन महासभा के सहायक मंत्री भी रह चुके है। उक्त महासभा ने आपकी दूरदर्शितापूर्ण निपुह सेवा से प्रसन्न होकर आपको " धर्मरत्न " की महत्वशालिनी उपाधि से विभूषित किया है । आप भा० दि जैन शास्त्री परिषद के सभापती तथा संरक्षक भी रह चुके है ।
मा० दि० जैन सिद्धांत संरक्षिणी सभा का जो प्रथम अधिवेशन पैठण (औरंगाबाद निजाम) मे हुआ था उसके आप ही सभापती नियत हुए थे तथा आपने उस अधिवेशन का कार्य वडी सफलता के साथ किया था । उसी सभा का दुसरा अधिवेशन श्री अंदेश्वर पार्श्वनाथ मे ( जिला ढुंगरपुर कुशलगढ़ के निकट ) हुआ था उसमे आपको उक्त सभा ने अपना संरक्षक बनाया है तथा उसी अधिवेशन मे उस सभा ने आपको “ सरस्वती दिवाकर " प्रभावशालिनी उक्त उपाधि प्रदान की
श्रीमान् सरस्वती दिवाकरजी की यह साहित्य सेवा जैन साहित्य के प्रचार के लिये पूर्ण सहायक हुई है । जैन समाज हृदयों से इन परो. पकारी महा विद्वान का अभिनन्दन करेगा । हम भी शास्त्री जी का अभिनन्दन करते है।
भाद्रपद शु० २ वि० सं० २०१३ . ब्रह्माचारी चांदमल धूडीवाल
नागौर ( मारवाड )