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आचार्य श्री देवसेन का परिचय
आचार्य देवसेन की रचना में महत्त्व
आचार्य देवसेन ने अपने बनाए हुए ग्रन्थों मे द्रव्य मुण पर्यायों का बहुत ही गंभीर विवेचन किया है । नणे के गहन एवं सूक्ष्म विवेचन मे जिन अपेक्षा वादों का निदर्शन किया है उनसे उनकी अगाध विद्वत्ता का परिचय सहज मिल जाता है । गणस्थाने के स्वरूप के साथ उनका मार्गणाओं में संघटन भी उन्होंने बहुत स्पष्टरुप से किया है । स्थविर काल्पी जिन कल्पी साधुओं का स्वरुप बताकर तो आचार्य देवसेन ने ने मुनिराजों के सम्बन्धों मे कुछ स्वाध्याय शील भ्रामक लोगों के भ्रम को सर्वथा दूर कर दिया है । हम श्रीमान परमाराध्य श्री आचार्य देवसेन गणी के पुनीत चरणों में नत मस्तक होकर अपनी श्रद्धा और भक्ति प्रगट करते है । कल्याणमस्तु ।
मैनपुरी ( यू० पी० ) भाद्रपद वि० सं० २०१३
- आचार्योपासक - लालाराम शास्त्री