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श्री भक्तामर महामण्डल पूजा
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२२-यन्त्र गले में बांधने से तथा हल्दी की गांठ को २१ वार मन्त्र द्वारा मंत्रित करके चबाने से भूत, पिशाच, चुडेल प्रादि दूर हो जाते हैं।
२३–पहले १०८ बार मन्त्र जप कर अपने शरीर की रक्षा करे फिर जिसको प्रेत बाधा हो उसे झाड़े, यन्त्र पास रक्खे तो प्रेत-बाधा दूर होती है।
२४-प्रतिदिन १०८ बार मन्त्र जपना चाहिये । २१ बार मन्त्र पड़ कर राख मंत्रित करके उसे शिर पर लगाने से शिर पीड़ा दूर हो जाती है।
२५–ऋद्धि और मंत्र के जपने से तथा यन्त्र को पास में रखने से धीज उतरतो है तथा पाराधक पर अग्नि का प्रभाव नहीं होता ।
२६-ऋद्धि मंच द्वारा १०८ बार तेल मंत्रित करके शिर पर लगाने से तथा यन्त्र अपने पास रखने से प्राधा शीशी आदि शिर के रोग दूर हो जाते हैं । उस तेल की मालिश करने से तथा मंत्रित जल पिलाने से प्रसूति शीध्र प्रासानी से हो जाती है ।
२७-काली माला से ऋद्धि मन्त्र का जाप करने से, प्रतिदिन एक बार अलोना भोजन करने से तथा कालीमिर्च से हवन करने पर शत्रु का नाश होता है । ऋद्धि और मन्त्र का जाप करते रहने से तथा यन्त्र अपने पास रखने से मन्त्र पाराधना में मात्र कुछ हानि नहीं पहुंचा सकता।
२८-ऋद्धि मंत्र की प्राराधना से मोर यंत्र पास में रखने से व्यापार में लाभ, विजय और सुख प्राप्त होता है । सब कार्य सिद्ध होते हैं