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प्रस्तावना
जा रहा है।
जिस प्रप्ति का पाठ इस ग्रन्थ में रखा गया है, उसके मात्र 27 अध्याय ही हमें उपलब्ध हुए हैं । भवन की दूसरी प्रति में 26 अध्याय हैं। दोनों ही प्रतियों के देखने से ऐसा लगता है कि इनकी प्रतिलिपि विभिन्न प्रतियों से की गयी है । अन्य समाप्ति सुचक कोई चिह्न या पुष्पिका नहीं दी गयी है, अत: प्रतिलिपि-काल की जानकारी नहीं हो सकी।
अनुवाद के पश्चात् प्रत्येक अध्याय के अन्त में विवेचन लिखा गया है । विवेचन में वाराही संहिता, अद्भुतसागर, वसन्त राज शाकुन, मुहूर्तगणपति, वर्षप्रबोंध, बृहत्पाराशरी, रिष्टसमुच्चय, केवलज्ञानप्रश्नचूड़ामणि, नरपतिजयचर्या, भविष्यज्ञान ज्योतिष, एवरोडे एस्ट्रोलाजी, केवलज्ञानहोरा, आयज्ञानतिलक, ज्योतिषसिद्धान्तसार संग्रह, जातक क्रोडपत्र, चन्द्रोन्मीलनप्रश्न, ज्ञानप्रदीपिका, देवज्ञकामधेनु, ऋषिपुत्रनिमित्त शास्त्र, बृहज्योतिपार्णव, भुवनदीपक एवं विद्यामाधवीय का आधार लिया गया है ! विवेचन में उद्धरण कहीं से भी उद्धृत नहीं किये हैं । अध्ययन के बल से विषय को पचाकर तत्-तत् प्रकरण से विषय से सम्बद्ध विवेचन लिखा गया है । विषय के स्पष्टीकरण की दृष्टि से ही यह विवेचन उपयोगी नहीं होगा, बल्कि विपय वा साांगोपांग अध्ययन करने के लिए उपयोगी होगा। प्रत्येक प्रकरण पर उपलब्ध ज्योतिष ग्रन्थों के आधार पर निचोड़ रूप में विवेचन लिखा गया है । यद्यपि इस विवेचन को ग्रन्थ बढ़ जाने के भय से संक्षिप्त करने की पूरी चेष्टा की गयी है। फिर भी सैकड़ों ग्रन्थों का सार एक ही जगह प्रत्येक प्रकरण के अन्त में मिल जायगा। अन्य ज्योतिर्वेत्ताओं का उस प्रकरण के सम्बन्ध में जो नया विचार मिला है उसे भी विवेचन में रख दिया गया है ! पाठक एक ही ग्रन्थ में उपलब्ध समस्त संहिताशास्त्र का सार भात्र प्राप्त कर सकेगा, ऐसा हमारा पूर्ण विश्वास है। ____ अनुवाद तथा विवेचन में समस्त पारिभाषिक शब्दों को स्पष्ट कर दिया गया है। पारिभाषिक शब्दों पर विवेचन भी लिखा गया है । अत: पृथक् पारिभाषिक शब्दसूची नहीं दी जा रही है । यतः शब्दसूची पुनरावृत्ति ही होगी। ___ अनुवाद में शब्दार्थ की अपेक्षा भाव को स्पष्ट करने की अधिक चेष्टा की गयी है । सम्बद्ध श्लोकों का अर्थ एक साथ लिखा गया है । इस ग्रन्थ का हिन्दी अनुवाद अभी तक नहीं हुआ तथा विषय की दृष्टि से इसका अनुवाद करना आवश्यक था । ज्योतिष विषयक निमित्तों की जानकारी के लिए इसका हिन्दी अनुवाद अधिक उपयोगी होगा । संहिताशास्त्र के समग्र विषयों की जानकारी इस एक ग्रन्थ से हो सकती है।