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परिशिष्टाध्यायः
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ॐ ह्रीं अम्छे कुष्माण्डिनी निवारण बाद मम वागी परी रियामा
पुरवीथ्यां वजन शब्दमाद्यं श्रुत्वा शुभाशुभम् ।
स्मरन् व्यावर्तते तस्मादागत्य प्रविधारयेत् ।।।6।। रात्रि में प्रथम प्रहर में या प्रात:काल में ही आ यामिनि बाहाणि देबि वद बद बागोश्वरि म्बाहा" दम मंत्र का जाप शमा शब्द मुनने के निमित्त नगर में भ्रमण करे । इरा प्रकार नगर की गयी और गलियों में प्रमण करते समय जो भी शुभ या अशभ शक हल सुनाई पड़े, उग गुगवार वापरा लौट आब और उसी गन्द ने अनुगार गभागभ फल अवगत करे। अर्थात् अशुभ शब्द सुनने में मृत्य . बेदना, पीडामादि फा तथा सुभ शब्द गुनने से नीरोगता, स्वास्थ्य लाभ एवं कार्य सिद्धि आदि म भ पन प्राप्त होते है || 160- 16||
अदादिस्तवो राजा सिद्धिबुद्धिस्तु मंगलम् । वृद्धिश्री जयऋद्धिश्च धनधान्यादिसम्पद: ।।1621 जन्मोत्सवप्रतिष्ठाद्या: देवष्ट्यादिशुभकियाः ।
द्रव्यादिनामश्रवणाः शुभा: शब्दा: प्रकीर्तिताः॥163|| नगर में भ्रमण के समय प्रथम गा महन्त भगवान का नाम, उनका स्तवन, राजा, गिद्धि, बुद्धि, वृद्धि, जय, पंद्रमा, श्री ऋद्धि, धन-धान्य, गम्पत्ति, जन्मोताव, प्रतिष्ठोमव, देवपूजन, इत्यादिका नाम आदि शब्दों का सुनना ण बतलाया गया है। 62-1630
अम्बिकाशब्दनिमित्तं छत्रसालान्यजागन्धपूर्णकुम्भाक्षिसंयुतः ।
वृषाश्च गृहिणः पुंसः सपुन: भूमितास्त्रियः ।। 164।। अम्बिका दी, शत्र, माला, ध्वज, गन्ध युक्त , सेल, गृहस्थ, पुत्र गहित अलंकृत स्त्री आदि या वर्णन सभी कायाँ गंभ होता है। जब्द प्रकरण होने स उक्त वस्तुओं के नाम का यवण भी शुभ माना जाता है ।।। 63-164||
इत्यादिदर्शनं श्रेष्ठं सर्वकार्येषु सिद्धिदम् ।
छत्रादिषातभंगादि दर्शनं शोभनं न हि ।।165।। किसी भी कार्य के प्रारम्भ में लवभग, चपात आदि का दर्शन और शब्दश्रवण अशभ समझा जाता है। अर्थात् उक्त वस्तुओं दर्शन या उगत वस्तुओं के नामों को सुनने से कार्यसिद्धि म नाना प्रकार की बाधाएं आती हैं ।।165||
विशेष - वमन्तराज शबून में शुभ शकुना का वर्णन करते हुए बताया है कि दधि, घृत, दुर्वा, तण्डल-चावल, जल पूर्ण कुम्भ, बात गर्षा, चन्दन, शंण, शस्य,