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भद्रबाहुसंहिता
जो मनुष्य सम्पूर्ण अंगोपांगों में सहित छाया पुरुष का दर्शन करता है वह चिरकाल तक जीवित रहता है, इसमें सन्देह नहीं है ||77||
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आस्तां तु जीवितं मरणं लाभालाभं शुभाशुभम् । यच्चिन्तितमनेकार्थ छायामात्रेण दीक्ष्यते ॥78 ||
जीवनमरण, लाभ, अलाभ, शुभ, अशुभ इत्यादि अनेक बातें छाया पुरुष के दर्शन से जानी जा सकती है ||78॥
स्वप्नफलं पूर्वगतं त्वध्याये चाधुना परः ।
निमित्तं शेषमपि तत्र प्रकथ्यते सूत्रतः क्रमशः 1791
श्रद्या। कनकन पूर्व में हो चुका है फिर भी सूत्र कमातुगार फल आत करने के लिए स्वप्न का निरूपण किया जा रहा है 117911 दशपञ्चवर्षस्तथा पञ्चदशदिनः क्रमशः ।
रजनीनां प्रतियामं स्वप्नः फलत्येवायुषः प्रश्ने ||80|1
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आयु. विनायकम में रात्रि के विभिन्न प्रहरी में देखे गये स्वप्नों का फल मदम व पांच वर्ष पाँच दिन तथा दस दिन में प्राप्त होता है |801 शेषप्रश्न विशेष द्वादश पद्येकमासकैरेव ।
स्वप्नः क्रमेण फलति प्रतियामं शर्वरी दृष्टः ॥ 8111
आयु के अतिरिक
अनुसार कमशावाद
केन का फल रात्रि के विभिन्न प्रहरों के और एक महीने में प्राप्त होता है ॥8॥
करचरणजानु मस्तकजंघांसोदरविर्भागते दृष्टे ।
जिनबिम्बम् च स्वप्ने तस्य फलं कथ्यते क्रमशः 118217
हाथ पैर घुटने गर, जंघा, कन्धा तथा उदर के स्वप्न में भंगित होने का वन में जिन वि के दर्शन का फल कमल वर्णन करेंगे ॥82॥
करभंगे चतुर्मास: त्रिमास: पदभंगतः ।
जानमने तु वर्षेण मस्तके दिनपञ्चभिः 1183॥
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स्वप्न में करणय (हाय का टूटना ) देखने से चार महीने में मृत्यु, नदभंग देखने तीन महीने में, जानुभग दखन से एक वर्ष में और मस्तक भंग देखने से पाँच दिन में मृत्योती
वयुग्मेन जंघायामसहोंने द्विपक्षत.
न यात् प्रातः फलं मन्नो पक्षेणोदरभंगतः ।।६।।