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पविशतितमोऽध्यायः
उसका विनाश होता है। जिस अंग में उक्त वृक्षादिकों का उत्पन्न होना स्वप्न मे दिखलाई पड़ता है, उसी अंग की बीमारी द्वारा विनष्टि होती है || 65 |
रक्तमाला तथा माला रक्तं या सूत्रमेव च । यस्मिन्नेवावबन्ध्येत् तदंगेन 'विक्लिश्यति 1166॥
स्वप्ना में बाल फला या लालसूत्र के द्वारा जो अंग बाँधा जाय, उसी अंग में क्लेश होता है 66
ग्राहो नरं नगं कञ्चित् यदा स्वप्ने च कर्षति । बद्धस्य मोक्षमाचष्टे मुक्ति बद्धस्य निर्दिशेत् ॥67॥
जय स्वप्न में कोई मकर या घड़ियान मनुष्य को खींचता हुआ-सा दिखलाई पड़े तो जो व्यक्ति वज्र है - कारागार आदि में बद्ध है या गुकदमे में फंसा है, उसकी मुक्ति होती है छूट जाता है || 671
पीतं पुष्पं फलं यस्मै रक्तं वा सम्प्रदीयते । कृताकृतसुवर्ण वा तस्य लाभो न संशय: ।168।।
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स्वप्न में यदि किसी व्यक्ति को पीने या लाल फल-फूलों को बता दिखाई पड़े तो उसे सोना, चांदी का लाभ निःसन्देह होता है 168॥
श्वेतमांसासनं यानं सितमाल्यस्य धारणम् । श्वेतानां वाऽपि द्रव्याणां स्वप्ने दर्शनमुत्तमम् ॥1691 मांस, वेतु आम सवारी व माना का धारण करना तथा
अन्य श्वेत द्रव्यों का दर्शन स्वप्न में शुभ होता है 60
बलीवर्दतं यानं योऽभिः प्रयति । प्राचीं दिशमुदीची वा सोऽर्थलाभमवाप्नुयात् ॥1700
जो व्यक्ति स्वप्न में श्रेष्ठ बैंचों के रथ पर चकरा उत्तर की ओर गगन करता हुआ देखता है, यह धन प्राप्त करता है || 7011
नग - वेश्म पुराणं तु दीप्तानां तु शिरस्थितः । यः स्वप्ने मानवः सोऽपि महीं भोक्तु निरामयः ।।7।।
जो व्यक्ति स्वप्न में सिर पर पर्वत पर खण्ड तथा दीप्तिमान् पदार्थों का
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दखता है, वह स्वस्थ होकर पृथ्वी का उपयोग करता है ||7111
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