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अयोविंशतितमोऽध्यायः
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प्रशासकों एवं अन्य अधिकारियों में अनेक प्रकार के उपद्रव होने से संघर्ष होता रहता है । देश में अशान्ति होती है तथा नये-नये प्रकार के झगड़े उत्पन्न होते हैं । चन्द्रमा की आकृति विशाल हो तो धनिकों के यहाँ लक्ष्मी यी वृद्धि, स्थूल हो तो सुमिन, रमणीय हो तो उत्तम धान्य उपजते हैं । यदि चन्द्रमा के शृग को मंगल ग्रह ताड़ित करता हो तो कुत्सित राजनीतिज्ञों का विनाश, य येष्ट बर्मा, पर फसल की उत्पत्ति का अभाव और शनि ग्रह के द्वारा चन्द्र ग आहत हो तो शस्यमय
और क्षुधा का भय होता है । बुध द्वारा चन्द्रमा के शृग को आहत होने पर अनावष्टि, भिक्ष एवं अनेक प्रकार के संकट आते है 1 शुक्र हा नन्द्रग का दन होने से छोटे दर्जे के शासन अधिकारियों में वैमनस्य, भ्रष्टाचार और अनीति का सामना करना पड़ता है। जब गद्वानन्द्रग छिन्न होता है, तब किगी महान नेता की मत्यु या विश्व के किसी बड़े राजनीतिजी मत्यु होती है।
कृष्ण पक्ष में चन्द्रम का ग्रहां द्वारागीट न हो तो गध, यवन, पुजिन्द, नेपाल, मर, चार छ, मुरत, मद्रास, पंजाब, यी र कुलूत, पुष्णानन्द और उशीनर प्रदेश में सात महीनों तक रोग व्या रहता है। शुक्ल पक्ष में ग्रहों द्वारा चन्द्रग का छिन्न होना अधिक अशुभ नहीं होता है।।
यदि दुध द्वारा चन्द्रमा का दिन होता हो तो मगध, मथुरा और वेणा नदी के किनारे बसे हुए देशों को पीड़ा होती है। कोतु द्वारा चन्द्रमा पीड़ित होता हो तो अमंगल, व्याधि, दुर्भिक्ष और शास्त्र में आजीविका करनेवालों का विनाश होता है । चोगे को अनेक प्रकार के कष्ट सहन करने पड़ते हैं। राहु या केतु से ग्रस्त चन्द्रमा के ऊपर उल्का गिरे तो अशान्ति रहती है। यदि भस्मतुल्य रूखा, अरुणवर्ण, किरणहीन, ग्यामवर्ण, कम्पायमाग चन्द्रमा दिखलाई दे तो क्षधा, संग्राम, रोगोत्पत्ति, चोरभय और स्त्रभय आदि होते हैं। कुमुद, मृणाल और । हार के समान शभ्रवर्ण होर तन्द्रमा नियमानुसार प्रतिदिन घटता-बढ़ता है तो । सभिक्ष, शान्ति और सुवृष्टि होती है । प्रजा आनन्द के साथ रहती है तथा सन्तान का विनाश होकर पूर्णतया णानि छा जाती है।
द्वादश राशियों के अनुसार चन्द्ररल-मेग गशि में चन्द्रमा में रहने गराभी धान्य महँगे; वप में चन्द्रमा के होने में चना तेज, मनुष्यों की मृत्यु और चोर भय; मिथुन में चन्द्रमा के रहने मे वीज बोने में प्रफलता, उत्तम धान्य की उत्पत्ति; कर्क में चन्द्रमा के रहने म वर्षा; सिंह में रहने मे धान्य का भाव महँगा; वान्या में रहने में खण्डवृष्टि, सभी धान्य मस्ते: तुन्ना में चन्द्रमा के रहने से थोड़ी वर्षा, देशभंग और मार्गभय: वृश्चिक में चन्द्रमा के रहन में मध्यम वर्मा, ग्रानाश, उपद्रव, उत्तम धान्य की उत्तान; धनु राशि में चन्द्रमा मे रहने से उत्तम वर्मा, मुभिक्ष और शान्ति; मकर राशि में चन्द्रमा के रहने में धान्य नाश, फसल में नाना प्रकार के रोग, मुमा-टिड्डी आदि का भय, कुम्भ राशि में चन्द्रमा के रहते ग अल्प