SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 432
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एकोनविंशतितमोऽध्यायः 345 बौथियों में रहे तो परशामन का आगमन होता है। इस प्रकार की स्थिति में धान्य-अनाज नहीं चेचना चाहिए, बलवान् का आश्रय लेना तथा धान्य और भूसा का संग्रह करके दुर्ग का आश्रय लेना चाहिए 1135-360 उत्तराफाल्गुनों भौमो पदा लिखति वामतः । यदि वा दक्षिगं गच्छेत् ' धान्यस्यार्थो महा भवेत् ।।37॥ जय मंगल उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र को वाम भाग से स्पर्श करता है अथवा दक्षिण की ओर गमन करता है तो धान्य--अनाज बहुत महंगा होता है ।। 37 !! यदाऽनराशं प्रविशन्मध्ये न च लिखेत्तथा। मध्यमं तं विजानीयात् तदा भीमविपर्यये ।।38॥ यदि मंगल अनुराधा में मध्य में प्रवेश करे, स्पर्श न करे तो गध्यम होता है और विपर्यय प्रवेश करने पर विपरीत फल होता है ।138॥ स्थूल: सुवर्णो द्युतिमांश्च पीतो रक्त: 'सुमागों रिपुनाशनाय । मोमः प्रसन्न: सुमनः प्रशस्तो भवेत् प्रजानां सुखदस्तदानीम् ॥3॥ स्थूल, स्वर्ण, कान्तिमान्, मुकर, गीत, खत, मुमार्गमामी, वान्त, प्रसन्न, समगामी, बिलम्बी मंगल प्रजा की मुख-शान्ति और धन-धान्य देने वाला है ।।39॥ इति निर्गन्यभद्रबाहुक निमित्तं अंगारकचारो नाम एकोनविंशतितमोऽध्यायः ।।1911 विवेचन -भीम का द्वादश राशियों में स्थित होने का फल... गप गशि में मंगल स्थित हो तो सभी प्रकार ने अनाज महेंगे हीन है । म आला होती है तथा धान्य श्री तात्ति भी अप होती है। पूर्वीय प्रदेशों में या साधारणतया अचनी होती है; उतरीय प्रदेशों में ग्नुण्डष्टि, पश्चिमीय प्रदेशों में वर्षा का अभाव या अत्यल्प तथा दक्षिणीय प्रदेशों में साधारण वृष्टि होती है। मा राशि । मंगल जनता में भय और आतंत भी उत्पन्न करता है। चा राशि में मंगल नः स्थित होने से साधारण वृष्टि देश मभी भागों में होती है । नना, चीनी और गुड़ का भार तुछ महंगा होता है। महामारी के कारण मनुष्या की मृत्यु होती है 1 बंगाल के लिए मंगल व उमस स्थिति अधिक भयावह होती है । मंगल की उक्त स्थिति बर्मा, श्यान, चीन और जापान के लिए राजनीतिक दृष्टि से उथल-पुथल करन ] गुमागंन मुश्री प्रजना प.! ना ।. प्रसन्न गगगा नी नाम मुखः प्रजानाम् भु। र [.
SR No.090073
Book TitleBhadrabahu Sanhita Part 1
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorKunthusagar Maharaj
PublisherDigambar Jain Kunthu Vijay Granthamala Samiti
Publication Year
Total Pages607
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Jyotish
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy