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षोडशोऽध्यायः
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सुभिक्ष होता है। वर्षा उत्तम होती है, व्यापार भी बढ़ता है, विदेशों से सम्पर्क स्थापित होता है। पुनर्वसु नक्षत्र में शनि के रहने में पंजाब, सौराष्ट्र, सिन्धु और मौवीर देश में अत्यन्त पीड़ा होती है। इन प्रदेशों में वर्षा भी अल्प होती है तथा महानगी नाकारा जाता को मात दोना है ! पुष्य नक्षत्र में शनि के रहने से देश में सुकाल, उत्तम वर्षा, आपसी मतभेद, नेताओं में संघर्ष एवं निम्न श्रेणी के व्यक्तियों को कष्ट होता है । पूर्व प्रदेशों के लिए उक्त नक्षत्र का शनि शान्ति देने वाला, दक्षिण प्रदेशों में सुभिक्ष करने वाला, उत्तर प्रदेशों में धन-धान्य की वृद्धि करने वाला एक पश्चिम प्रदेश के व्यक्तियों के लिए अशान्तिकारक होता है। उक्त नक्षत्र का शनि राभी मुस्लिम राष्ट्रों में अशान्ति उत्पन्न करता है तथा अमेरिका में आन्तरिक कलह होता है। रूस की राजनीतिक स्थिति में भी परिवर्तन आना है । आगा नक्षत्र का शनि भषों को कष्ट देता है तथा सों द्वारा आजीविका करने वालों को भी कष्ट ही देता है । इस नक्षत्र पर शनि का रहन में जापान, वर्मा, दक्षिण भारत और युगोस्लाविया में भूका अधिक जाते है। इन पूकम्पा द्वारा धन-जन की पर्याप्त हानि होती है। भारत के लिए उक्त नक्षत्र का अनि उसम नहीं है। देश में समयानुकल वर्षा भी नहीं होती है, जिसमें फसल उत्तम नहीं होती।
उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र का शनि गुड़, लबण, जल एवं फलों के लिए हानिकारक होता है । उक्त शनि में महाराष्ट्र, मद्रास, दक्षिणी भारत के प्रदेश और बम्बई क्षेत्र के लिए नाश होता है। इन राज्यों का आर्थिक विकास होता है, कलाकीगन की वृद्धि होती है । हस्त नक्षत्र में जानि रिश्रत हो तो शिल्पियों को कष्ट होला है 1 कुटीर उद्योगों के विकास में उक्त नक्षत्र के गानि में अनेक प्रकार की आधाएं जाती हैं। चित्रा नक्षत्र में शनि हो तो ग्थियों, नलित बाला के कलाकार एवं अन्य कोगन प्रकृति वालों को कष्ट होता है । इस नक्षत्र में गनि ना रहने से नमस्त भारत में व अच्छी होती है, फराल भी अच्छी उतान होनी है। दक्षिण वा प्रदेशा में आपसी मत मंद होने में कुछ अशान्ति होती है। स्वाति नक्षत्र में शनि हो तो, नर्तव., सारथी, ड्रायर, जहाज मंचालक, दूत एवं स्टीमों के चालकों को याधियां उत्पन्न होती है। देश में शान्ति और मुभिक्ष त्पन्न होते हैं। विशाग्या नक्षत्र या शनि रंगा र व्यापारियों के लिए उत्तम है । लोहा, अब तथा अन्य प्र तिनिज पदार्थो के व्यापारियों ने लिए अच्छा होता है। अनुराधा नक्षत्र
का शनि माश्मीर के लिए अरिष्टकारक और बार भारत में लिए मध्यम है । इस नक्षत्र में शदि में सती अच्छी होती है और वर्षा भी अच्छी ही होती है । इस नक्षत्र का शनि में बर्तन बनाने का कार्य करने वाले, बागड़े का कार्य करने वाले यन्त्रों में विघ्न उत्पन्न होता है । जूट और चीनी के व्यापारियों के लिए यह बहुन अच्छा होता है। ज्येष्ठा नक्षत्र का शनि अप्ठ वर्ग और पुरोहित वर्ग के लि!