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प्रत्येक अध्याय के अन्त में 'बृहत्संहिता' आदि कोई बीस-बाईस अन्य ग्रन्थों के आधार से विषय-विवेचना भी किया है। उन्होंने अपनी बृहत् प्रस्तावना में विषय एवं ग्रन्थ की रचना आदि विषयों पर भी महत्वपूर्ण प्रकाश डाला है। इस सफल प्रयास के लिए हम विद्वान् सम्पादक का अभिनन्दन करते हैं और उसके उत्तम रीति से प्रकाशन के लिए 'भारतीय ज्ञानपीठ' के संचालकों को बधाई देते हैं ।
-ही. ला. जैन -आ. ने. उपाध्ये
ग्रन्थमाला सम्पादक
(प्रथम संस्करण )