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प्रयोदशोऽध्यायः
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शौर्यशस्त्र बलोरेता विख्याताश्च पदातयः ।
परस्परेण भिद्यन्ते तत्प्रधानवधस्तदा ॥12॥ यदि यात्रा काल में प्रसिद्ध पैदल सेना शौर्य, शस्त्र और शक्ति से सम्पन्न होकर आपस में ही झगड़ जाये तो प्रधान सेनापति के वध की सुचना अवगत करनी चाहिए ॥12॥
निमित्त लक्षवेतां चतुरंगां तु वाहिनीम् ।
निमित्त: स्थपतिवेद्यः पुरोधाश्च लो विदुः ॥1॥ चतुरंग सेना के गमन समय के निमित्तों का अवलोकन करना चाहिए। नैमित्तिवः, राजा, वैद्य और पुरोहिरा : चारों के लक्षणों को निम्न प्रकार ज्ञात करना चाहिए ॥ 1 311
चतुविधोऽयं विष्कम्भरतस्य बिम्बा: प्रकीर्तिताः ।
स्निग्धो जीमूतसंकाशः सुस्वप्न: चापविच्छमः ॥14॥ नमित्तिक, राजा, बैद्य और पुरोहित यह चार प्रकार का विष्कम्भ है, इसके बिम्ब-पर्याय स्निग्ध, जीमतसंकाश ..मेघों का सान्निध्य, सुस्वप्न और धनुषज्ञ है 140
नमित्तः साधुसम्पन्नो राज्ञः कार्यहिताय सः । संघाता पाधिवेनोक्ताः सथानस्थाप्यकोविदः ॥15॥ स्कन्धावारनिदेशेषु कुशल: स्थापको मतः । कायशल्यशलाकासु विधोन्मादज्वरेषु च ॥16॥ चिकित्सानिपुणः कार्य: राज्ञा वैद्यस्तु यात्रिकः । ज्ञानवानल्प वास्त्रीमान् "कांक्षामुक्तो 'यश: प्रियः ।।7।। मानोन्मानप्रभाधुक्तो पुरोधा गुणवांछितः । स्निग्धो गम्भीरघोषश्च सुमनाश्चाशुमान् बुत्रः ।।४।। छायालक्षणपुष्टश्च सुवर्ग: पुष्ट क: सुवाक। सबल: पुरुषो विद्वान् शोधश्च यति: शुचि: ।।।।
1. एवमेव जयं वग: म गा , प्रा. : 2. सपन. म. | 3 बह लोक हस्ननखित प्रति य नहीं है, ! 4 - मनः । 5. या न म । 6. साम्यो म । 2. सम म। म .. . ... ... ... शि . म. ।