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यशोऽध्यायः
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E छाया हुआ दिखलाई दे तो मध्य देश को अवश्य न करता है। यह जितनी दूर
तक फैला हुआ दिखलाई दे तो समझ लेना चाहिए कि उतनी दूर तक देश का नाश होगा । रोग, मरण, दुभिक्ष आदि अनिष्टकारक फलादेशों की प्राप्ति होती है। इस प्रकार का गन्धर्व नगर जनता, प्रशासक और उच्चवर्ग के लोगों के लिए भी भयदायक होता है। अवर्षण, सुखा आदि के कारण फसल भी मारी जाती है। यदि गन्धर्वनगर इन्द्रधनुषाकार या माप के विल के आकार में दिखलाई पड़े तो देशनाश. दुभिक्ष, मरण, व्याधि आदि अनेक प्रकार के अनिष्टकारक फरन प्राप्त होते हैं। यदि चारदीवारी के समान गन्धर्व नगर पी भी बहारदीवारी दिखलाई पड़े और ऊपर के गुम्बज भी दिखलाई त निश्चयत. प्रशासक या मन्त्री का विनाश होता है। नगर के मुखिया के लिए भी प्रकार का गन्धर्वनगर दुःखदायक बताया गया। जम गन्धर्वनगर का ऊपरी हिस्सा टूटा हुआ दिखलाई दे तो दस दिन के भीतर ही किसी प्रधान व्यवित की मृत्यु सूचित कारता . है! ऊपर स्वर्ण की मुबजे दिलाई पड़ें और उनपर स्वर्ण-बालश भी दिखलाई
देते हों तो निश्चयतः रा प्रदेश की आशिक हानि, फिसी प्रधान व्यक्तिको मृत्यु, : वस्तुओं की महंगाई और रोगादि उपद्रव हो । हैं। जब गन्धर्वनगर कः घर की
स्थिति ऊँचे मन्दिरों के समान दिग्बलाई दे और उनके बालशों पर मालाएँ लटकती हुई दिखाई पड़ें तो मुभिक्ष, समयानुसार वर्षा, ऋषि का विकास, अच्छी फसल और धन-धान्य की समृद्धि होती है । टूटते-दहत गन्धर्वनगर दिखलाई द तो उनका फल अच्छा नहीं होता । रोग और मानसिक आपनियों ने साथ पारस्परिक कलह की भी सुना समझनी चाहिए। जिस गन्धर्वनगर द्वारपर सिंहाकृति दिखलाई दें, वह जनता में बा, पौगए और शक्ति का विकास करता है । वृषभाकृतिवाला गन्धर्वन पर जनता को धर्म-मार्ग की ओर ले जानवाला है। उस प्रदेश की जनता में संघम और धर्म की भावनाएं विशप कप से उत्पन्न होती हैं। जो व्यक्ति उक्त प्रकार के गन्धर्वनगरों को स्वीकृति में देखता है. उसे उस क्षेत्र में शान्ति समझ लेनी चाहिए।
मास और वार के अनुसार गन्धर्वनगर का फलादेश · यदि रविवार को गन्धर्वनगर दिखलाई पड़े तो जनता को कष्ट. दुनि, अन्न का पविज, नश को कमी, वृश्चि? आदि विपैले जन्त पों की वृद्धि, गाराम, कृषिका विनाश और अन्य प्रकार को उपद्रय भी होते है । दल वायुनता है। प्राचिन नास में कुछ वर्षा होती है, जिनो मातारा से भी माल हो जाती। विचार को सन्ध्या में गन्धर्वनगर देखन से भूकम्प का मेय. मध्यान में गन्धर्वनार से जनता में अराजकता प्रातःकाल सूर्योदय के नारे गधनगर दिपना तो नगर में साधारणतः गान्ति रहती है। सन्ध्या काल का गायनगर बहत अधिक धुरा साझा जाता है। बात में दिखलाई देने में कम न देता है।