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अष्टमोऽध्यायः
रूक्षा वाता: प्रकुर्वन्ति व्याधयो विष्टगन्धिताः ।
कुशब्दाश्च विवर्णाश्च मेघो वर्ष न कुर्वते ॥15।। रूक्ष वायु विष्टा गन्ध्र के समान गन्ध वाली बहती हो तो व्याधि उत्पन्न करती है। कुशब्द अर्थात् कठोर शब्द और विकृत वर्ण वाली हो तो मेघ जलवृष्टि नहीं करते ।। 1 51
सिंहा' शृगालमार्जारा व्याघ्रमेधाः द्रवन्ति ये।
महता भीम' शब्देन रुधिरं वर्षन्ति ते घनाः ।।16। जो मेघ सिंह, सियार, बिल्ली, चीता की आकृति वाले होकर बरसें और भारी कठोर वर्षा करें तो इस प्रकार के मेघों का फल रुधिर की वर्षा करना है ।।160
पक्षिणश्चापि ऋव्यादा वा पश्यन्ति समुत्थिताः ।
मेघास्तदाऽपि रुधिरं" 'वर्ष वर्षन्ति ते धना: ॥17॥ यदि मांसभक्षी पक्षियों ...साद आदि पक्षियों की आकृति वाले मेघ तथा उड़ते हुए पक्षियों की आकृति वाले मे दिग्पलाई पड़े तो बे रुधिर की वर्षा करते
अनावृष्टिभयं घोरं दुभिक्षं मरण तथा।
निवेदयन्ति ते मेघा ये भवन्तीदृशा दिवि ॥18॥ उपर्युक्त अशुभ आकृतिवाले मेघ अनावृष्टि, घोरभय, दुभिक्ष, मृत्यु आदि फलों को करने वाले होते हैं । अर्थात् मांसभक्षी पशु ओर भाराभक्षी पक्षियों की आकृतिवाले मेघ अत्यन्त अशुभ सूचक होते हैं ।।।3।।
तिथी 1मुहर्तकरणे नक्षत्रे शकुने 2 शुभ।
सम्भवन्ति यदा मेघाः पापदास्ते भयंकराः ।।1।। अशुभ तिथि, मुहूर्त, करण, नक्षत्र और शान में यदि भेष आकाश में आच्छादित हों तो 'भयंकर पाप का फल देने वाले होते हैं ।। 1911
एवं लक्षणसंयुक्ताश्चमू वर्षन्ति ये घनाः । चमं सनायकां सर्वा हन्तुमाख्यान्ति सर्वशः ।।20।
1. सिंघ भु० A. | 2. रवन्ति गु० A. | 3. बत् म.A | 4. मेघ मु. A. B. D. I 5. गश्यन्ते: मु. हि. यास्यन्ते मु. राज्यते मु०) । 6. चिरं म... 1 7. वर्षने लव दर्थने मु. 18. माकं मु. A 19. दिदगा म. BID । 10. भषि म. A.। 11. मूह म. A. ID. I 12. करणे मु. C. 1 13. नथा म • AI