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चतुर्थोऽध्यायः
एवं विश्व के समस्त प्राणियों में भय का संचार होता है। कात्तिक मास का परिवेष अत्यन्त अनिष्टकारी और मात्र मास का परिवेष समरत आगामी वर्ष का फलादेश सूचित करता है । माघी पूणिमा को आकाग में बादल छा जाने पर विचित्र वर्ण का परिवेष सूर्य के चारों ओर वृत्ताकार में दिखलाई गड़े तो पूर्णतया सुभिक्ष आगामी वर्ष में होता है। इस दिन का परिवेष प्रायः शुभ होता
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परिवेषों का राष्ट्र सम्बन्धी फलादेश--चन्द्रमा का परित्रेप मंगल, गनि और रविवार को आश्लेषा, विशाखा, भरणी, ज्येष्ठा, मूल और शतभिषा नक्षत्र में काले वर्ण का दिखलाई पड़े तो राष्ट्र के लिए अत्यन्त अशुभ सका होता है। इस प्रकार के परिवेप का फल गपट्र में उपद्रव, घरेलू कलह, महामारी और नेताओं में मतभेद तथा झगड़ों में होने से राष्ट्र की क्षति आदि समझना चाहिए । तीन मंडल और पनि मंडल का परिचप रागी प्रकार से सटको क्षति करता है। यदि अनेक वर्ण वाला दण्डाकार चन्द्र परित्रेप मर्दन गारसा हुआ दिग्वनाई पनी राष्ट्र के लिए अशुभ रागझना चाहिए । इस प्रकार ला परिवेग में राष्ट्र नः निवासियों में आपसी यान है, एवं किसी विशेष प्रकार की विपनि की सूचना मिलती है। जिन देशों में पारम्परिक व्यापारिक समझौत होते हैं, वे भी इस प्रकार के परिवेष से भंग हो जाते हैं अतः पर-राष्ट्र का भय और आतंक व्याप्त. हो जाता है। देश की आर्थिक क्षति भी होती है । देश में चोर, डाकुओं का अधिक आतंक बढ़ता है और देश की व्यापारिक स्थिति असन्तुलित हो जाती है । रात्रि में शुक्ल पक्ष के दिनों में जब मेघाजन्न आकाण हो, उन दिनों पूर्व दिशा की ओर से बढ़ता हुआ चन्द्र परिवेष दिपलाई गड़े और इस परिवेप का दक्षिण का कोण अधिक बड़ा और उन बाला कोण अधिइलोटा नी माना गई तो उस परिवेष का फल भी राष्ट्र के लिए घातयः समझना चाहिए । इस प्रकार के परिवेग से राष्ट्र की प्रतिष्ठा में भी कमी आती है तथा राष्ट्र की सम्पति भी घटती हुई दिखलाई पड़ती है । अच्छे कार्य राष्ट्र हित के लिए नहीं हो पाते हैं, कंवल मेरा ही काय होते रहते हैं, जिनसे राष्ट्र में अशान्ति होती है । राष्ट्र के किसी अच्छे कर्णधार की मृत्यु होती है, जिससे राष्ट्र में महान प्रणान्ति ना गाती है। प्रशासकों में भी मतभेद होता है, देश के प्रमुख-प्रमुख शासक अपने-अपने अहंभाव की पुष्टि के लिए विरोध करते हैं, जिससे राष्ट्र में अशान्ति होती है। मध्य रात्रि में निरभ्र आकाश में दक्षिण दिशा की ओर से विचित्र वर्ण का परिव उत्पन्न होकर चन्द्रमा को वेष्टित करे तथा इस भइल में चन्द्रमा का उस दिन का नाम भी वेप्टित हो तो इस प्रकार का परिवेष रास्ट्र उत्थान का होता है । कलाकारों के लिए यह परिवेप उन्नति सूचना है। दण में क :- कारखानों की उन्नति होती है। नदियां