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________________ हे आध्यात्मिक गुरुओ, आध्यात्मिक उच्चात्माओ, उपचारक गुरुओ, उपचारक देवदूतो, प्रकाश के देवों और महान व्यक्तियो, मैं आपको पुनः दिव्य आशीर्वाद और दिव्य उपचार के लिए धन्यवाद देता हूं। धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास के साथ।" (थ) उपचार के अन्त में आप भी पुनः अपनी प्रार्थना करें अथवा निम्न प्रार्थना करे। हे सर्वशक्तिमान प्रभु, मैं आपको आशीर्वाद तथा रोगी का नाम लीजिए) के उपचार के लिए धन्यवाद देता हूं। धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास के साथ। ___मैं आपको रोगी के उपचार होने तक उसके पास एक उपचारी गुरु और एक उपचारी देवदूत को नियुक्त करने के लिए धन्यवाद देता हूं। धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास के साथ। मैं आपसे विनम्रतापूर्वक यह भी प्रार्थना करता हूं कि जो भी मन, वचन तथा काय से मेरे द्वारा उपचार प्रक्रिया में गलती हो गई हो, उन्हें आप क्षमा कर दें तथा यह गल्तियां किसी प्रकार से रोगी को हानि न पहुंचाएं। धन्यवाद सहित और पूर्ण विश्वास के साथ। (उक्त प्रार्थना को तीन बार दोहराएं, तत्पश्चात) हे आध्यात्मिक गुरुओ, आध्यात्मिक उच्चात्माओ, उपचारक गुरुओ, उपचारक देवदूतो. प्रकाश के देवो और महान व्यक्तियो, मैं आपको आशीर्वाद तथा (रोगी का नाम लीजिए) के उपचार के लिए धन्यवाद देता हूं| धन्यवाद और पूर्ण विश्वास के साथ। (उक्त प्रार्थना को तीन बार दोहराएं) (द) रत्नों को स्वच्छ करें। ५.४८६
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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