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क्रम | विषय
| अध्याय । क्रम संख्या चिन्ह उन्नतशील उपचार की तकनीके | अनिश्चित दशा में कौन सी ऊर्जा | प्रयोग करें विविध
७ से १२ तक विविध शारीरिक तंत्रों का १० से सभी | उपचार- उदाहरण
२२ तक मनो/मनोवैज्ञानिक रोगों का २३ तथा
सभी उपचार
२४ | प्राणिक लेसर उपचार
२७ रत्न द्वारा उपचार करने में झाड़ बुहार तथा ऊर्जन की विशिष्ट विधियां हैं, जो इस अध्याय में वर्णित है। (२) उपचारक की योग्यता
उपचारक को उन्नत एवम् रंगीन प्राणों द्वारा प्राणशक्ति उपचार तथा मनो/मनोवैज्ञानिक उपचार में पूर्ण नहीं तो, कम से कम अर्धदक्ष एवम् समुचित अनुभव तो होना अत्यन्त आवश्यक है। रत्न द्वारा उपचार में रत्न एक शक्तिशाली संयंत्र का कार्य करता है, इसलिए उसके द्वारा उपचार में जरा सी भूल हो जाने के फलस्वरूप गंभीर गड़बड़ी अथवा रोगी के ऊपर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
उपचारक को द्वि-हृदय पर ध्यान-चिन्तन नियमित रूप से करना चाहिए। यह आवश्यक है।
रत्न द्वारा उपचार उपचारक को पहले सामान्य केसों से प्रारम्भ करना चाहिए, तदुपरान्त थोड़ी दक्षता और बढ़ जाने और आत्म विश्वास हो जाने के पश्चात गम्भीर रोगों का उपचार करना चाहिए।