________________
(१)
अध्याय – २५ पूरक उपचार-निदेशात्मक उपचार Supplementary Healing
Instructive Healing मूल सिद्धान्त --- Basic concepts
यह उपचार इस धारणा पर आधारित है कि शरीर (वायवी या ऊर्जा एवम् भौतिक) की एक चेतना होती है, इसलिए यह निदेशों को प्राप्त करने तथा पालन करने की क्षमता रखता है। शरीर की चेतना को भौतिक उपचेतनात्मक बुद्धि (Subconscious mind) कहते हैं। उपचेतनात्मक शब्द का प्रयोग यहां इसलिए किया गया है क्योंकि यह सामान्य चेतना से नीचे के स्तर का होता है। इस भौतिक उपचेतनात्मक बुद्धि को बार-बार निदेश देकर, उपचार की गति को बढ़ाया जा सकता है।
यह शरीर की चेतना ही है कि बगैर आपके संज्ञान या निदेशों के, शरीर के विभिन्न तंत्र स्वतः ही और समन्वयतापूर्वक कार्यरत रह पाते हैं। बगैर भौतिक उपचेतनात्मक बुद्धि के भौतिक क्रियायें जैसे दौड़ना अथवा नृत्य करना, जिसमें मांसपेशियों की अति जटिल समन्वयता की आवश्यक्ता पड़ती है, सम्भव नहीं हो सकता है। इस उपचेतनात्मक बुद्धि के कारण ही कोई घाव या जलन स्वतः ही ठीक हो पाता है। इस ही के कारण बगैर आपके संज्ञान या निर्देशों के, सैकड़ों यहाँ तक कि हजारों अति जटिल जैवीय-रासायनिक क्रियायें आपके शरीर में हो रही हैं। वास्तव में भौतिक और वायविक शरीर अत्युत्तम, जीवित बुद्धिमान संयंत्र हैं।
इसी प्रकार ऊर्जा चक्रों की चेतना, चक्र की उपचेतनात्मक बुद्धि (chakral sub conscious mind) कहलाती है। यह उपरोक्त भौतिक उपचेनात्मक बुद्धि के नियंत्रण में होती है।
__ शरीर के अंगों की चेतना उस अंग की उपचेतनात्मक बुद्धि कहलाती है। अंग और अंग की उपचेनात्मक बुद्धि सम्बन्धित चक्रों अथवा चक्र की
५.४००