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________________ पहुंचाना और दूसरे, प्रभावित 1, 4 और 6 को सामान्य करके गठिया को ठीक करना। (क) GS (ख) c (पैरों तथा AP पर h, k, S) G-0 (ग) E (h, k, S) w - 5 में प्रेषित ऊर्जा का स्थिरीकरण न करें। (घ) E (AP) GBO (ङ) चरण (ख) तथा (घ) को दिन में कई बार करिये, जब तक कि रोगी को काफी अथवा पूर्ण राहत नहीं मिल जाती। (च) " BIE GBV (छ) C (1, 4) | ER (ज) 03 CKGROIE W यदि रोगी को पिछले सिर के क्षेत्र में दर्द या तकलीफ महसूस हो, तो C' (पिछले सिर का क्षेत्र, रीढ़ की हड्डी तथा 3) (ट) उपचार को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए, ऊपर के चक्रों का T करिए, getic 7/E 7 GBV i C (c, 9, 10, bh)/ E GV (ठ) अगले कई दिनों तक समस्त उपचार प्रतिदिन एक बार करें। पतनकारी संधिवात औस्टीयो आर्थिराइटिस- Degenerative Arthiritis. Osteo arthritis 1 अस्थितंत्र (मय जोड़ों) को नियंत्रित व ऊर्जित करता है। बढ़ती उम्र के साथ 1 तथा अन्य चक्रों में का लचीलापन.खत्म हो जाता है और धीरे-धीरे उन पर ऊर्जा का खालीपन हो जाता है। इस कारण से रीढ़ की हड्डी का कुबड़ापन तथा जोड़ों के कार्टिलेज (Cartilage) का पतन होता है। इस कारण से वृद्ध लोगों की टूटी हड्डी जुड़ने में ज्यादा समय लगता है। 1, 4, 6 और 5 आमतौर पर प्रभावित होते हैं। (क) GS (ख) c (प्रभावित बांहों या पैरों पर तथा AP पर)/ GO (ग) E (AP) GBV' अथवा E (AP)G, B, O-Y (तेजी से घिसे हुए कार्टिलेज को पुनर्निर्माण करने हेतु 0-1 का उपयोग)
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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