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________________ कई केसों में लम्बे समय से रह रहे नकारात्मक भावनाओं द्वारा 6 के गलत ढंग से कार्य करने के फलस्वरूप 1, 4 तथा 5 गलत ढंग से कार्य करने लग जाते हैं, जिससे गम्भीर किस्म के संधिवात हो जाती है। आमतौर, “उत्तम उपचार की तकनीक" जिसका वर्णन अध्याय ६ के क्रम १० (३३) में है, सामान्य तथा गम्भीर प्रकार की संधिवात के उपचार में बहुत प्रभावकारी होती है। 6 की अच्छी तरह सफाई करनी पड़ती है। यदि यह अति सक्रिय है, तो उसका संकुचन करना पड़ता है। यदि रोगी अधिक उम्र का है, तो ज्यादा सुरक्षित होगा यदि मास्टर उपचार तकनीक (अध्याय ६ के क्रम १० (३२) में वर्णित) में wW का उपयोग करें। मैडिकल दृष्टिकोण से, संधिवात निम्न कारणों से हो सकती है। (क) मांसपेशियों और स्नायुओं (Tendons) की सूजन (infiamrnation) (ख) बुढ़ापे के कारण जोड़ों का पतन हो जाना (degeneration) (ग) जोड़ों की झिल्ली (membrane) पर सूजन (घ) अधिक यूरिक एसिड (uric acid) और यूरेट्स (Urates) के कारण जोड़ों की सूजन 17- Inflammation of the Muscles and Tendons (क) C (AP) G~OT E GBV (ख) जरूरत हो, तो उपचार दोहरायें। आमतौर पर प्रथम उपचार में ही वह आंशिक अथवा पूर्ण रूप से ठीक हो सकता है। कड़ी गर्दन (सर्वाइकल स्पोन्डिलाइटिस) Stiff Neck (Cervical Spondylitis) यह रोग गलत सोने के ढंग से, हृदय रोग, स्क्तचाप तथा अन्य कारणों से हो जाता है। कई केसों में यह भावनात्मक कारणों से होता है। आम तौर पर व्यक्ति अपने नकारात्मक भावनाओं को वचनों द्वारा जाहिर नहीं कर पाता। 6 दबी हुई भावनात्मक- गंदी लाल ऊर्जा के घनेपन से सम्बद्ध रहता है। नकारात्मक भावनाओं का 6 में रह जाने के कारण, ये भावनात्मक गंदी लाल ऊर्जा 8 तथा ) में फंस जाती है, जिसके फलस्वरूप एक लम्बे समय में कड़ी गर्दन (stuff neck) बीमारी हो जाती है। कई केसों में कन्धा भी प्रभावित हो जाता है। इस प्रकार के रोगी गले (६) ५.२९६
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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