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5 का 3 से अति घनिष्ठ संबंध होता है। यदि 5 सक्रिय होता है, तो 3 आंशिक रूप से अधिक सक्रिय हो जायेगा। इसलिये E 5 नहीं करना चाहिए। E' 4 नहीं करना चाहिए क्योंकि यह चक्र 5 तथा 3 से निकटता का सम्बन्ध रखता
उच्च रक्तचाप गुर्दो के गलत ढंग से कार्य करने या अन्य बाह्य कारणों से हो सकता है। ज्यादातर केसों में इसका कोई मैडिकल कारण ज्ञात नहीं होता और इस प्रकार का उच्च रक्तचाप आवश्यक (essential) उच्च रक्तचाप कहलाता है। यह नियंत्रित हो सकता है, किन्तु मैडिकल दृष्टि से ठीक नहीं हो सकता। प्राणिक दृष्टि से आवश्यक उच्च रक्तचाप 6 के अधिक सक्रियता के कारण, 3 के अधिक सक्रियता के हो जाने के कारण होता है। दूसरे शब्दों में, यह भावनात्मक कारणों से होता है। बार-बार के उपचार से रक्तचाप सामान्य हो सकता है। इस उपचार में 6 तथा 3 की जाँच सामने तथा अगल-बगल दोनों प्रकार से करनी होती है। (१) प्रथम विधि (क) GS (२ या ३) (ख) C (समस्त सिर का क्षेत्र, विशेषकर पिछले भाग पर एवम् रीढ़ की हड्डी)- यह
क्षेत्र भूरे से लाल रंग के होते हैं। C" B, C' 3- सामने तथा बगल से 6 व 3 की पुनः जांच करें। इनके C से रक्तचाप धीरे-धीरे सामान्य होगा। यह चरण अति महत्वपूर्ण है। E 3 B द्वारा 3 को संकुचित (inhibit) करें। साथ-साथ इसको अन्य चक्रों से आधे आकार का करने की इच्छा करें तथा इसकी पुन: जांच करे। यदि इसका संकुचन एक दफा सफलतापूर्वक हो जाये, तो रक्तचाप शीघ्रता से कम
होगा। (ड) E 6 B द्वारा 6 को संकुचित करें। साथ-साथ इसे अन्य चक्रों के बराबर
आकार का करने की इच्छा करें। इसका अति संकुचन न करें, वरना रोगी कमजोरी महसूस करेगा। 6 की पुनः जांच करें। क्रम (ग), (घ) व (ङ) को एक या दो घंटे बाद पुनः करें, क्योंकि 6 व 3 के पुनः सक्रियता की संभावना रहती है।
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