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________________ ! (a, e, H) । यदि पैर की (ग) यदि भुजा या हाथ की हड्डी टूटी हो, तो T (h, k, S) H तथा S में प्रेषित प्राणशक्ति हड्डी टूटी हो, तो स्थिरीकरण न करें। (घ) T 1, क्योंकि 1 हड्डी और मांसपेशियों के तंत्र को नियंत्रित करता है । (ङ) (ट) (ठ) T (4, 6) पहले कुछ दिनों तक इलाज को दिन में एक या दो बार दोहरायें । टूटी हड्डी को ठीक से बिठाने के लिए या प्लास्टिरादि लगाने के लिए मैडीकल डाक्टर से मिलना आवश्यक है 1 उपक्रम (२६) जोड़ों का दर्द और गठिया रोग - Arthiritis and Rheumatism (9) हल्के या सामान्य रोगों में दोहराएँ । C' (AP) / E, इलाज को कई बार गंभीर जोड़ों के दर्द के लिए (२) (क) GS (३) (ख) C' (AP) / E, (πT) (घ) (ङ) (च) (छ) (ज) - — C (L व पेट के ऊपरी व निचला भाग) C रीढ़ की हड्डी क्योंकि यह कुछ हद तक गंदी हो सकती है । ५.११४ E C1E1 एवं T ( 4, 5, 6) पीड़ित हो या हाल में ही रहा हो, तो यदि हाथ में दर्द हो तो C ( पूरा हाथ प्राणशक्ति को स्थिर न करें। ). यदि रोगी उच्च रक्त दबाव से (1, 5) न करें। T (a, k, H) - HH में प्रेषित - यदि पैर में दर्द हो तो C (पूरा पैर ). T ( h, k, S ) प्राणशक्ति को स्थिर न करें। दो महीने या उससे अधिक समय तक सप्ताह में तीन बार इलाज करें। S में प्रेषित
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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