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________________ (घ) Co.L/E6f का तात्पर्य सौर जालिका के दोनों चक्रों और यकृत की अच्छी तरह स्थानीय झाड़-बुहार करके, अगले सौर जालिका चक्र का ऊर्जन करना है। (ङ) CIE का तात्पर्य मूलाधार चक्र की स्थानीय झाड़-बुहार करके उसका अच्छी तरह से ऊर्जन करना है। (च) GS (२ या ३) का तात्पर्य दो या तीन बार सामान्य झाड़-बुहार करने का (छ) T4 का तात्पर्य नाभि चक्र का स्थानीय झाड़-बुहार करके, उसका ऊर्जन करना है अर्थात् C 4/5 है। (ज) C8~E का तात्पर्य कण्ठ चक्र का बारी-बारी से स्थानीय झाड़-बुहार और ऊर्जन करना है। (झ) c Lu (Lub के माध्यम से) का तात्पर्य फैंफड़ों की C, फिर फेंफड़ों का पिछले फेंफड़ों के माध्यम से E उदाहरण उपक्रम (१) सिर दर्द और आधे सिर का दर्द (आधा सीसी)- Headache and Migraine Headache (क) 11, 10, 9, सिर के पीछे, पूरा सिर और गर्दन की जांच करें। इन अंगों में खोखलेपन या घनेपन के कारण सिरदर्द हो सकता है। आंखों, कनपटी और ७ की भी जांच करनी चाहिए। (ख) T (11, 10, 9 सिर के पीछे और सिर के AP)- यदि घनेपन के कारण दर्द है, तो C ही काफी होगी। (ग) यदि सिर दर्द आंखों के तनाव के कारण है, तो नीचे उपक्रम (२) में वर्णित उपचार करें। (घ) यदि आधे सिर का दर्द है या भावनात्मक समस्याओं व तनाव के कारण दर्द है, तो C तथा C'6/E, तब सिर के क्षेत्र का करें।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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