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________________ पित्ताशय के लगभग | पित्ताशय (gall मध्य भाग में | bladder) (चित्र २.३८ व २.४४) | १७. | पित्ताशय (अति लघु | । चक्र) (यकृत के सीधे भाग के निचले लघु चक्र के अन्तर्गत) अग्न्याशय- इसके ऊपरी हिस्से पर दो अति लघु चक्र होते 4 . | अग्न्याशय के बॉए मध्य | अग्न्याशय (चित्र २.२६. / २.३०, २.३८ व २.४१) । भाग में १६. | आमाशय आमाशय के ऊपर के | आमाशय (चित्र २.३८) । मध्य भाग में छोटी आंत के ऊपरी छोटी आँत हिस्से पर (चित्र २.३८, २.४२ व २.४३) छोटी आँत - इसके अन्तर्गत प्रक ती कुट पर एक अति लघु चक्र होता है बड़ी आँत- इसके अन्तर्गत प्रत्येक ३ फुट पर एक अति लघु चक्र होता है २२. | आंत्रपुच्छ (अति लघु चक्र) 4 बड़ी आँत के सीधे भाग | बड़ी आँत (चित्र २.३८) । के सबसे निचले हिस्से | आंत्र पुच्छ (बड़ी आँत के | आंत्रपुच्छ (appendix) लघु चक्र के अन्तर्गत) | (चित्र २.३८) गुदा 4 गदा के नीचे के हिस्से TGT (anus) (चित्र २.३८, २.४८.२. ४६ व २.५०) अधिवृक्क ग्रंथियां (चित्र २.२४, २.२८ व | २४. | अधिवृक्क ग्रंथि 3.1 इसमें दो चक्र होते हैं- बाएं व दाएं ओर ४.४९
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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