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________________ अध्याय-८ एक्यूप्रेशर (ACUPRESSURE) विधि द्वारा स्वास्थ्य परीक्षण एवं चिकित्सा शरीर में चेतनारूपी विद्युत प्रवाह (bio-electricity) उत्पन्न होता है। इस की भिन्न-भिन्न रेखाएँ मेरीडिअन्स (meridians) कहलाती हैं। ये दाहिने हाथ की उंगलियों और अंगूठे के सिरे से शुरू होकर शरीर के दाँए भागों में होकर दाहिने पैर की उंगलियों और अंगूठे के सिरे तक जाती हैं। उसी तरह बाएँ हाथ की उंगलियों और अंगूठे के सिरे से उत्पन्न प्रवाह शरीर के बाएँ हिस्से में घूमकर बाएं पैर के उंगलियों और अंगूठे के सिरे तक जाता है। जब तक चेतना का यह विद्युत प्रवाह शरीर में ठीक ढंग से घूमता रहता है, शरीर तंदुरुस्त रहता है। अत्यधिक श्रम, छीज आदि कारणों से जब यह विद्युत प्रवाह शरीर के किसी भी अवयव तक ठीक से नहीं पहुँचता, तब वह अवयव सुचारु रूप से काम नहीं करता, इसलिये उस हिस्से में दर्द या रोग हो जाता है। अतः इस प्रवाह को यदि उस अवयव तक पहुँचाया जाए, तो वहाँ होने वाला दर्द-पीड़ा अथवा रोग (यदि हुआ हो, तो) दूर हो जाता है। इस प्रकार एक्युप्रेशर एक ऐसा प्राकृतिक विज्ञान है जो हमारे शरीर की भीतरी रचना द्वारा वांछित भाग में आवश्यकतानुसार विद्युत प्रवाह पहुंचाकर रोगों को दूर करना सिखाता है। __ हमारे शरीर में विद्युत प्रवाह का स्विच बोर्ड हाथ के दोनों पंजों एवं पैरों के दोनों तलवों में है। भिन्न-भिन्न स्विचें कहाँ आई हुई हैं; यह चित्र ३.०३ से ३.०८ में दर्शाये गये हैं। प्रतिदिन हाथों या पैरों के इन बिन्दुओं पर अँगूठे को थोड़ा तिरछा रखते हुए मामूली दबाव देने से स्वास्थ्य का स्वयं परीक्षण किया जा सकता है। दोनों हाथों में इस प्रकार दबाव देने में पांच-पांच मिनट मात्र लगते हैं, जिससे मुफ्त में स्वास्थ्य परीक्षण हो जाता है। यदि किसी बिन्दु पर दबाने से दर्द होता है तो उससे सम्बन्धित अवयव का ठीक प्रकार से काम न करने का संकेत मिलता है। ऐसी परिस्थिति में उस बिन्दु पर दो मिनट तक पम्प की तरह दबाब देना चाहिए- अर्थात् दबाब दीजिये, फिर छोड़ दीजिये- इसी क्रम को बार-बार दो मिनट तक करते रहिये। यह प्रक्रिया ३.२८
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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