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क्षेत्रफल (surface area) २ वर्गमीटर होता है तथा वजन ४.७ किलो ग्राम होता है। इसकी बाहरी पतं और संवेदन ग्रंथियाँ बहिर्वाहक और अंतहिक चेताओं के साथ जुड़ी होती हैं, जिससे यह गरम, ठंडे, कठोर, दबाव आदि की संवेदन मस्तिष्क को पहुँचा कर उनसे सम्बन्धित आज्ञाएं प्राप्त करती हैं। त्वचा स्नायुओं और चरबी की रक्षा करती है, शरीर में बैक्टिरिया के प्रवेश को रोकती है तथा कुछ विषैले पदार्थों को शरीर से बाहर भी निकालती है। इसके अतिरिक्त वे प्रस्वेदन के माध्यम से कुछ क्षारों के निष्कासन करने के कार्य में सहायता करती हैं। इसमें ३० लाख से अधिक प्रस्वेदन ग्रंथियाँ (sweat glands) होती हैं। सर्दी की ऋतु में त्वचा ठंड को शरीर में प्रवेश करने से रोकती है और गर्मी की ऋतु में शरीर की गर्मी को प्रस्वेद के द्वारा शरीर से बाहर निकालने का काम करती है। इस प्रकार वह शरीर के तापमान के नियंत्रण में सहायता करती है। शरीर पर उगे रोएँ भी शरीर के तापमान को सामान्य रखने में मदद करते हैं और कुछ त्वचा की रक्षा करते हैं। सिर पर लगभग १ लाख बाल होते हैं। इसमें से प्रतिदिन लगभग ८० बाल गिरते हैं।
नाखून हाथ और पैरों की उँगलियों के सिरों की रक्षा करते हैं। ये कैराटिन (Keratin) से बने होते हैं। नाखून एक माह में लगभग ५ मिलीमीटर तक बढ़ते है, तथा जड़ (base) से उपर (tip) तक आने में लगभग ६ माह लगते हैं। त्वचा की संरचना एवम् बाल उगने की प्रक्रिया आगे अध्याय ७ के अर्न्तगत चित्र २.१० में दर्शायी गयी है।
अध्याय - ५ स्नायु तंत्र/सम्पर्क व्यवस्था – Nervous / Communication System
___ मस्तिष्क, मस्तिष्क दंड (Brain stem), मेरु दंड (Spine), सायेटिका चेता-ये सब मिलकर केन्द्रीय स्नायु तंत्र बनाते हैं। इनसे बाहरी {peripheral) स्नायु जो मीलों लम्बी है, सम्बन्धित रहती हैं। इस प्रकार से पूरे शरीर में स्नायु तंत्र का जाल फैला रहता है। साइटिका नर्व रीढ़ की हड्डी के मनकों (Ventricules) के बीच में से गुजरती है और कोकिलास्थि (Coccyx) के पास से दो भागों में विभक्त होकर पैरों के अंगूठे के सिरे तक जाती है। इस साइटिका चेता - मेरु दण्ड से छोटी-छोटी चेताएँ निकलती हैं जो शरीर के प्रत्येक अवयव के साथ जुड़ी हुई हैं। देखिए चित्र २.०५ तथा २.०६ ।