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जघन्य परीतानन्त (AD)
यदि b=
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1
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+
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व जोक प्रन (इसक, सम्मान अलौकिक गणित - उपमामान के कथन में है) धर्म द्रव्य के प्रदेश (L) लोक प्रमाण अधर्म द्रव्य के प्रदेश (L) लोक प्रमाण एक जीव के प्रदेश (L) लोक प्रमाण लोकाकाश के प्रदेश (L} अप्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीवों का प्रमाण, अर्थात (a.L) प्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीवों का प्रमाण (अर्थात अप्रतिष्ठित प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीवों का प्रमाण xa.L) aall + 4 L + a.L + (a.L) x (a.L)
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+
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तो यदि c =
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एक कल्पकाल ( बीस कोड़ा कोड़ी अद्धा सागर) के समय असंख्यात लोकप्रमाण स्थिति बन्धाध्यवसाय स्थान (स्थितिबन्ध को कारणभूत आत्मा के परिणाम) इनसे भी असंख्यात लोकगुणे (तथापि असंख्यात लोक प्रमाण) अनुभाग बन्धाध्यवसाय स्थान (अनुभाग को बन्ध कारणभूत आत्मा के परिणाम)
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'नोट-- यह महाराशि राशि की शलाकात्रयनिष्ठापन विधि से निकाली गयी राशि है। इस विधि का वर्णन परिशिष्ट १.०५ (क) में दिया हुआ है।
१.१८०