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(ग)
प्राण-शक्ति उपचार की प्रैक्टिस का प्रचार करना एवम् सरकारों के शिक्षा व स्वास्थ्य विभागों द्वारा रोगों के उपचार में वैकल्पिक रूप में प्राण-शक्ति उपचार को लागू करवाना।
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(घ) प्राण ऊर्जा के क्षेत्र में खोज एवम् अनुसंधान को प्रोत्साहन देना । (ङ) अपने-अपने क्षेत्र की प्रचलित भाषा में प्राणशक्ति उपचार से सम्बन्धित पाठ्य पुस्तकों को उपलब्ध अंग्रेजी भाषा का रूपान्तर करवाकर उपलब्ध करना। वर्तमान में श्री चोआ कोक सुई द्वारा लिखित हिन्दी भाषा "प्राणशक्ति उपचार - प्राचीन विज्ञान और कला (परासामान्य उपचार की प्रायोगिक पुस्तिका" नाम से पुस्तक जो "The Ancient Science and Art of Pranic Healing (Practical Manual on Paranormal Healing)" नाम की अंग्रेजी पुस्तक की रूपान्तर है, बाजार में उपलब्ध है तथा इसके अतिरिक्त जर्मन, पुर्तगाली, फिलिपीनो, इण्डोनेशियन, बहासा, चीनी, फ्रेंच, इटैलियन, उच और पोलित भाषा में छप चुकी है। इस पुस्तक में मात्र प्रारम्भिक, माध्यमिक, स्व एवम् दूरस्थ प्राणशक्ति का ही वर्णन है । उन्नतशील रंगीन, मनोरोग, रत्नों द्वारा निर्देशित, प्रार्थना द्वारा प्राणिक लेसर प्राणशक्ति एवम् दिव्य उपचारों का वर्णन अंग्रेजी भाषा में ही है, किन्तु बाजार में इनकी भी पुस्तकें नहीं मिलती। यह पुस्तकें जब कोई अभ्यार्थी प्राणशक्ति प्रशिक्षण प्राप्त करता है, तभी उसको उपलब्ण हो पाती है। यह इस कारण से है कि सही प्रशिक्षण के द्वारा इन उपचारों का प्रभाव सुनिश्चित हो सकता है।
प्राण ऊर्जा विज्ञान का साहित्य- Literature of Pranic Energy Science
(क) प्राणशक्ति उपचार - प्राचीन विज्ञान और कला ( हिन्दी भाषा में) एवम् The Ancient Science and Art of Pranic Healing (in English language) -- इसी पुस्तक में भी लिंग (Mei Ling) प्राणिक उपचार केन्द्रों तथा विश्व की अन्य परासामान्य संस्थाओं के पते और गूढ़ विज्ञान अध्ययन तथा गूढ़ विज्ञान अभ्यास पर अनेक सुझाई गयी पुस्तकों के नाम (मय उनके लेखकों के नाम ) दिए गए हैं। यह पुस्तकें खोज व अनुसंधान को आगे बढ़ाने में सहायक हो सकती है ।
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