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________________ (४) रासायनिक तत्व जल जाते हैं बल्कि काफी मात्रा में उससे प्राण बाहर निकला जाता है। स्वास्थ्य के लिए यह आवश्यक है कि संतुलित खुराक खायी जाए। संतुलित खुराक क्या होती है- यह न केवल उसके रासायनिक अथवा पोषणकारी तत्वों के उचित मिश्रण से मापना चाहिए, बल्कि उसमें विभिन्न प्रकार की रंगीन प्राणों का क्या उचित मिश्रण होना चाहिए। संतुलित प्राण- खुराक के लिए कदाचित् किन-किन रंगों के खाद्य पदार्थ होने चाहिए, यह खोज का विषय हो सकता है। खाद्य-पदार्थ के रंगों से उसमें अधिकांश रंग के प्राण का पता ज्ञात हो जाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर हरी सब्जियों में काफी मात्रा में हरा प्राण होता है और गाजर में काफी नारंगी प्राण होता है; किन्तु इस तरह की दृष्टि सब जगह घटित नहीं होती- जैसे कि लाल टमाटर में काफी मात्रा में पीला सा हरा (Yellowish-Green) प्राण होता है और लाल प्राण बहुत कम होता है और तरबूज में जिसमें कि हरा छिल्का ओर लाल गूदा होता है, उसमें काफी मात्रा में हरा प्राण तो होता ही है किन्तु लाल प्राण कदाचित् ही होता है । दवा और प्राण Medicines and Prana पाश्चात्य दवाओं का दृष्टिकोण भारतीय (आयुर्वेदिक) और चीनी दवाओं के दृष्टिकोण से बहुत भिन्न है। पाश्चात्य की रासायनिक या भौतिक है, जब कि आयुर्वेद की अधिक गूढ़ है। आयुर्वेदिक तथा चीनी दवाओं में प्राण ऊर्जा और शरीर में प्राण - समन्वयता पर बल दिया जाता है। चीनी उपचारों के अन्तर्गत इस दृष्टिकोण का विभिन्न जड़ी बूटियों और एक्यूपंचर द्वारा काफी विकास किया गया है, यद्यपि भारत में भी जड़ी बूटी के सम्बन्ध में चेतना जाग गयी है। (५) भोजन का रोग पर प्रभाव - प्राणिक दृष्टि Effect of Diet on Disease- Pranic View यह सर्वविदित है कि गर्म मसालेदार भोजन के द्वारा बवासीर पीड़ित रोगी की दशा बिगड़ जाती है। ऐसा क्यों होता है ? ऐसा इसलिए है ५.५६१
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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