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(७) इफैक्ट ऑफ दि इमिटेड क्वि आन हीलिंग ऑफ इक्सपेरिमेंटल फ्रैक्चर
लेखक जिया लिन तथा जिया जिंडिंवा (नेशनल रिसर्च इंस्टियूट ऑफ स्पोर्ट्स साइंस. बीजिंग, चाइना)
खरगोशों में टूटी हड्डी जोड़ने के लिए उत्सर्जित ओजस्वी ऊर्जा का शरीर पर पड़ने वाला तुलनात्मक प्रभाव यह दर्शाता है कि जिस नियंत्रण समूह को ओजस्वी ऊर्जा नहीं दी गई थी, उनकी उपेक्षा जिस समूह को ऊर्जा दी गई थी उनमें हड्डी को जोड़ने वाला पदार्थ अधिक मात्रा में था। बहुत अधिक खिंची मांसपेशियों में पैदा हुए अत्यधिक चोट के उपचार के लिए भी इस प्रकार के परिणाम प्राप्त किये गये थे।
इस बात का अंदेशा लगाया जाता है कि हड्डियों व मांसपेशियों के इलाज में ओजस्वी ऊर्जा के उत्सर्जन में जो प्रक्रिया होती है उससे विद्युतीय-चुंबकीय क्षेत्र का निर्माण होता है। इसके परिणाम में उच्च
सतर की जैविक गतिविधि होती है। (E) दि चक्राज- लेखक : सी,डब्ल्यु. लीडबीटर, १६२७. दि थियोसोफिकल
पब्लिशिंग हाऊस, अड़यास, मद्रास
- इस पुस्तक में विभिन्न प्रकार की प्राणशक्तियों के बारे में चर्चा की गई है। इसमें अल्कोहल. नशीले पदार्थ व तम्बाकू का 'ईथरीय शरीर (etheric body) पर पड़ने वाले गलत प्रभावों पर भी विचार किया गया है। इस पुस्तक में श्री लीडबीटर द्वारा किये गये दिव्यदर्शी अध्ययनों के आधार पर बनाये गये चक्रों के दस रंगीन चित्र भी हैं। थियोरीज़ ऑफ चक्रास: ब्रिज टू हायर कौंशियन्स (conscience)लेखक: होरोशी मोटोयामा। १६८१, व्हीटोन, II; दि थियोसोफिकल पब्लिशिंग हाउस।
इस पुस्तक में चक्रों पर लेखक के व्यक्तिगत अनुभव और वैज्ञानिक परीक्षणों को लिखा गया है। चक्रों को जागृत करने की पद्धतियां भी इस पुस्तक में लिखी गई हैं। चीन के एक्युपंचर