________________
--
(3)
अल्मा - आटा के सुप्रसिद्ध किरोव स्टेट विश्वविद्यालय के जीव- वैज्ञानिकों, जीव-रसायन शास्त्रियों व जीव भौतिक वैज्ञानिकों के एक समूह ने घोषणा की कि जीव द्रव्य शरीर केवल कुछ आयनीकृत, सक्रिय या उत्तेजित इलैक्ट्रॉन, प्रोट्रॉन या कुछ अन्य अणुओं का प्लाज़्मा जैसा तारामण्डल या समूह ही नहीं होता बल्कि वह अपने आप में एक पूरी संघटित शरीर रचना है जो एक इकाई के रूप में कार्य करती है और उसका अपना विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र होता है ।
(8)
आवेश, मन की दशा और विचार जीव द्रव्य शरीर को प्रभावित करते हैं ।
(५) कज़ाकिस्तान स्टेट विश्वविद्यालय की खोजों के अनुसार ऊर्जा शरीर का अपना संघटित स्वरूप होता है जो शरीर रचना के रूप को निर्धारित करता है । उदाहरण के लिए मास्को में स्थित एनिमल मार्फोलोजी' संस्थान के डॉ एलैक्ज़ेंडर स्टडिट्स्की ने मांसपेशी के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसे चूहे के शरीर के एक घाव में बांध दिया। वहां पर एक पूरी नई मांसपेशी तैयार हो गई। इससे उन्होंने यह नतीजा निकाला कि इनमें संघटन का कुछ स्वरूप है ।
(६)
व्यक्ति की एक उंगली या हाथ कट जाने पर भी जीव द्रव्य शरीर की उंगली या हाथ उसी स्थान पर रहता है। इसलिए व्यक्ति को कभी-कभी यह अनुभव होता है कि वह कटा हुआ अंग उसी स्थान पर है
(७) लेनिनग्राद के वैज्ञानिक डॉ. मिखाइल कुज़मिच गैकिन ने जीवद्रव्य नाड़ियों और शिरोबिन्दुओं से संबंध रखने वाले केन्द्रों के अस्तित्व तथा प्राचीन चीनी औषधि विद्या में वर्णित एक्युपंचर बिन्दुओं की पुष्टि की है। टोबीस्कोप यंत्र की सहायता से उन्होंने एक्युपंचर के स्थानों को सही प्रकार से खोज निकाला। बाद में विक्टर अदामेन्को नामक युवा भौतिकशास्त्री ने टोबीस्कोप के विकसत रूप की खोज की और उसका नाम सी.सी.ए.पी. (Conductivity of the channels of acupuncture points) रखा जो न केवल एक्युपंचर के बिन्दुओं को ढूंढ़ता है बल्कि
५.५५४