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(ख) अभ्यासकर्ताों का वायवी (ऊर्जा) शरीर अधिक बड़ा धना हो जाता है, तथा उसकी ऊर्जा अधिक सुधर (refined) जाती है ।
ऊर्जा के आभा मण्डलों पर भी तद्नुसार प्रभाव पड़ता है।
( ग )
(घ)
इस प्रकार अभ्याकर्ता की उपचार करने की गति बहुत तीव्र एवम् अधिक प्रभावी हो जाती है।
(ङ) ऊर्जा के उक्त प्रकार के परावर्तन से समग्र रूप से लाभ मिलता है। (३) अर्हत ध्यान के प्रशिक्षण के प्राप्त करने के लिए आवश्यक योग्यता
इसके लिये श्री चोआ कोक सुई द्वारा अधिकृत प्रशिक्षण व्यक्तियों अथवा संस्थाओं द्वारा प्रारम्भिक तथा माध्यमिक प्राणशक्ति उपचार, उन्नत प्राणशक्ति उपचार एवम् प्राणशक्ति द्वारा मनोरोगों के उपचार में प्रशिक्षण प्राप्त करना आवश्यक है।
(४) सम्पर्क सूत्र
यदि आपने उक्त अधिकृत प्रशिक्षण प्राप्त कर लिये हों, तो अर्हत ध्यान सीखने के लिए निम्न पते पर सम्पर्क करें
(क) प्राणिक हीलिंग फाउन्डेशन,
बी - ३६, गीताञ्जलि एनक्लेव,
नई देहली- ११००१७
(ख) एक्जीक्यूटिव सैक्रेटरी,
ऑल इण्डिया प्राणिक हीलिंग फाउन्डेशन ट्रस्ट,
सैकिन्ड फ्लोर, सोना टॉवर्स
७१, मिलर्स रोड,
बंगलौर - ५६००५२
All India Pranic Healing Foundations Trust
2nd Floor, Sona Towers,
71, Millers Road, Bangalore - 560 052
आवश्यक नोट
(५)
अर्हत ध्यान के नाम से भ्रमित न हों कि इसका सम्बन्ध जैन धर्म में वर्णित अर्हत भगवान के ध्यान से है। नाम की समानता मात्र एक संयोग है।
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