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________________ ACKNOWLEDGMENT All that is contained in this book has been excerpted, adapted, or translated into English from a number of authentic Jaina texts. Due care has been taken to conserve the essence of the holy Scripture composed by the ancient preceptors (purvacarya). Contribution of the following publications in preparation of the present volume is gratefully acknowledged: 1. (1965), श्री भगवत् कुन्दकुन्दाचार्य विरचित पंचास्तिकाय प्राभृत - श्रीमदमृतचन्द्र सूरिकृत 'समयव्याख्या' नामक, श्रीमज्जयसेनाचार्य विरचित 'तात्पर्यवृत्ति' टीका तथा उनका हिन्दी शब्दार्थ, श्री शांतिसागर जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्था, श्रीमहावीरजी. 2. (1986), श्रीमत्कुन्दकुन्दस्वामिविरचितः पंचास्तिकायः - तत्त्वप्रदीपिका तात्पर्यवृत्ति-बालावबोधभाषेति टीकात्रयोपेतः, श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास. 3. संपादन - डॉ. कमलचन्द सोगाणी (2014), आचार्य कुन्दकुन्द-रचित पंचास्तिकाय (खण्ड-१ व खण्ड-२), अपभ्रंश साहित्य अकादमी, जैनविद्या संस्थान, श्रीमहावीरजी (राजस्थान). 4. हिन्दी अनुवादक - श्री लाल जी न्यायतीर्थ (1989-90), आचार्य कुन्दकुन्द विरचित पञ्चास्तिकाय - श्री अमृतचन्द्र सूरिकृत 'समयव्याख्या' टीका, श्री जयसेनाचार्य विरचित 'तात्पर्यवृत्ति' टीका, भारतवर्षीय अनेकान्त विद्वत परिषद्. 5. हिन्दी टीका - एन. के. गोइल (2006), आचार्य श्री कुन्दकुन्ददेव विरचित पंचास्तिकाय प्राभृत, जैन संस्कृति संरक्षक संघ, सोलापुर. 6. पं. पन्नालाल साहित्याचार्य (1970), श्रीभगवत्कुन्दकुन्दाचार्य कुन्दकुन्द-भारती, श्रुत भण्डार व ग्रन्थ प्रकाशन समिति, फल्टन. 7. सिद्धान्ताचार्य पं. फूलचन्द्र शास्त्री (2010), आचार्य पूज्यपाद विरचित सर्वार्थसिद्धि, भारतीय ज्ञानपीठ, 18 इन्स्टीट्यूशनल एरिया, लोदी रोड, नई दिल्ली-110003, सोलहवाँ संस्करण. 8. (1999), श्रीमन्नेमिचन्द्रसिद्धान्तिदेवविरचितः बृहद्रव्यसंग्रह - श्री ब्रह्मदेवस्य संस्कृतवृत्तिः, श्री परमश्रुत प्रभावक मण्डल, श्रीमद् राजचन्द्र आश्रम, अगास.. 9. टीका - आर्यिका श्री विशुद्धमति माताजी, सम्पादन - ब्र. पं. रतनचन्द जैन 'मुख्तार' __व डॉ. चेतनप्रकाश पाटनी (1974), श्रीमन्नेमिचन्द्र सिद्धान्तचक्रवर्ति विरचित . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . LIII
SR No.036508
Book TitlePanchastikay Sangraha With Authentic Explanatory Notes in English
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay K Jain
PublisherVikalp Printers
Publication Year2020
Total Pages436
LanguageHindi, Sanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size10 MB
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