SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 264
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 143 * गुणचन्द्र आदि बहुत साघुत्रों में और चन्द्रकला प्रादि बहुत साध्वीजी ने कर्मक्षय करके केवलज्ञान प्राप्त किया / कमलश्री और मोहनी शीलव्रत पालकर पहले देवलोक में गयी / वहां से च्यव कर मोक्ष में जायेंगी। श्रीचन्द्र पैतीस वर्ष केवली पर्याय पालकर, भव्य जीवों को प्रतिबोध करते हुये, सम्पूर्ण अायुष्य 155 वर्ष का परिपूर्ण करके निर्वाण पद को प्राप्त हुये (श्री शंखेश्वर पार्श्व प्रभु की शीतल छाया में और उनकी असीम कृपा से वीर सं० 2487 विक्रम स० 2017 के चैत्र वद 5 गुरुवार को प्रभात में 11 बजे यह ग्रन्थ थोड़. ही लिखा गया था इतने ही में देवी पुष्पों की सुगन्ध महक उठी वह पांच मिनिट तक रही देरासर से 6 कदम दूर / देरासर में खोज की, परन्तु ऐसी सुगन्ध के पुष्प दिखाई नहीं दिये / अर्थात् श्री वर्धमान तप के प्रेमी, श्री वर्धमान सूरी का जीव जो कि अभी वहां के अधिष्ठायक यक्ष हैं वे पांच मिनिट पधारे थे उनके गले में और हाथ में पुष्प की माला थी उसकी मुझे शायद सुगन्ध प्रायी / उस समय में प्रथम प्रावृति की प्रेस कापी लिख रहा था ) / 100 वर्ष तक तीन खन्ड के सब राजाओं ने जिनके चरण कमलों की सेवा की चन्द्र की तरह एक छत्री राज्य को पालने वाले श्री चन्द्र जय को प्राप्त हों। योगरूपी शस्त्र से आठ कर्मों की गांठें जिन्होंने नष्ट की ऐसे श्रीचन्द्र केवली जय को प्राप्त हों। भविक रुपी कमल को विकसित करते और सूर्य की तरह बोध देते जो विचरे थे ऐसे श्रीचन्द्र राजर्षि को मैं वन्दन करता हूं। 155 वर्ष का सम्पूर्ण आयुष्य पूर्ण करके, निर्वाण रुपी धर्म तीर्थ में जो सिद्ध पद को प्राप्त हुये उन महान श्रीचन्द्र को हमेशा मेरा नमस्कार हो। श्री चन्द्र के समय 6 हाथ की काया थी श्रीचन्द्र केवली ने जिन्हें दीक्षा दी उनमें से कितने तो केवल P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036499
Book TitleVardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddharshi Gani
PublisherVishva Shanti Prakashan
Publication Year
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size136 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy