________________ 127190 हुआ / जिससे उसने प्रसन्न होकर पूछा कि किसके मेहमान हो / उसने कहा तुम्हारा ही, सेठ हर्षित होता हुआ उसे घर ले गया स्नान, भोजन प्रादि कराकर, सुलस को एक दुकान खोल कर दी। ___ वहां उस दुकान में बहुत लाभ हुआ, वहां से सुलस ने चलकर तिलकपुर में जाकर जहाजों में करियाना भरकर रत्नद्वीप की तरफ प्रस्थान किया, वहां भी बहुत लाभ हुआ / वहां से रत्न खरीद कर अमरपुरी जा रहा था रास्ते में ही जहाजों के टूट जाने से लट्ठ के सहारे किसी किनारे पर जा लगा। वहां पर केलों से अपनी भूख को शान्त कर चिन्ता ही चिन्ता में आगे बढते एक शव को देखा / उसके वस्त्र के पल्ले में पांच रत्न बन्धे हुये थे उसे लेकर वेलाकुल नगर में पाया / वहां रत्नों को बेचकर करीयारणा खरीद कर अमरपुरी की तरफ प्रयाण किया परन्तु रास्ते में ही भील्लों ने लूट लिया / फिर वह एक सार्थवाह के साथ रवाना हुआ, रास्ते में उसे पारस रस मिला, उसे बेचकर आगे जाते हुये, उसके लाल शरीर को देखकर भारंड पक्षी मांस समझकर उठा कर रोहणगिरी पर रखकर दूसरे भारडं से लड़ने लग गया। इस अवसर का लाभ लेकर, सुलस तत्क्षण वहां से भागकर गुफा में भाग गया। जब भारंड पक्षी उड़ गये तब छुटकारे की सांस लेकर, मुक्त होने से खुश होकर, जहां 2 चोट आयी थी वहां वहां प्रौषधी लगायी / इतने में एक पुरुष को देखकर पूछने लगा, कि यह क्रौनसा पर्वत है। उसने कहा ये रोहणगिरी है, यह गिरि हर एक के P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust