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________________ *. 1241 कि श्री जंबूद्वीप में, ऐरावत क्षेत्र में, ब्रह्मण नगरी में जयदेव राजा, जयादेवी प्रिया के साथ राज्य करते थे। उनके नरदेव पुत्र था। राजा ने उसे पंडित के पास पढाने भेजा / राजा के वर्धन नामक श्रेष्ठी मित्र था उसके वल्लभा नामकी प्रिया थी उनके चंदन नामक पुत्र था उसे भी उन्होंने उसी पंडित के पास पढाने भेजा, जिस कारण राजपुत्र और श्रेष्ठो पुत्र दोनों मित्र हो गये / क्रमशः सब कलाओं में प्रवीण हो गये / उनकी क्रिया, वचन और चित्त भी एक ही समान था / धीरे 2 ने यौवनावस्था को प्राप्त हुये। क्षितिप्रतिष्ठित नगर में प्रजापाल राजा ने अपनी पुत्री अशोक श्री के विवाह के लिये उद्यान में स्वयंवर मंडप की रचना करायो, कुकुम पत्रिका द्वारा अनेक राजपुत्रों को आमंत्रण देकर बुलाया / वहां नरदेव भी चन्दन सहित आया। वहां आये हुये सब राजाओं और राजपुत्रों को छोड़कर, पूर्वभव के प्रेम के कारण अशोक श्री ने चन्दन को वरमाला पहनायो / अपना ही मित्र चुना गया है यह देखकर नरदेव बहुत आनंदित हुआ यह देखकर अपनी भानजी श्री कांता नरदेव के लिये चुनी। उन दोनों का बड़े महोत्सव के साथ विवाह किया / बाद में वे अपने नगर में पाये / 6 महीने बाद पूर्ण कर्म के उदय से चन्दन सेवकों सहित पांच जहाजों को लेकर रत्नद्वीप में गया / वहां बहुत लाभ प्राप्त करके, कोणपुर की तरफ रवाना हुआ / परन्तु तूफानी हवा के कारण जहाज संकट में पड़ गये / एक जहाज तो टूट ही गया बाक़ी के सब अलग 2 हो गये / दैवयोग से चन्दन का जहाज सनर मन्दिर के P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036499
Book TitleVardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddharshi Gani
PublisherVishva Shanti Prakashan
Publication Year
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size136 MB
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