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________________ 66K पहनायो। हषं से उन्होंने मालायें पहनाई। श्रीचन्द्र राजा ने कहा हे विद्याधर रानी! यह कौन हैं ? और ऐसी परिस्थिती आप लोगों की कसे हो गई ? विद्याधरी ने कहा हे वीर शिरोमणि / वैताढय गिरि पर मणिनूषण नगर में रत्नचूड़ राजा और उनका छोटा भाई मणिचूड़ युवराज था। उनके रत्नवेगा और महावेगा स्त्रियां थीं। उनकी रत्नचूला और मणिचूला आदि चार पुत्रियें और रत्नकान्ता भानजी है। गोत्री विद्याधरों सहित आकाश में विचरते उत्तर श्रेणी के नाथ सुग्रीव राजा ने उन्हें जीता, जिससे सहकुटुम्ब धनादि लेकर इस पाताल नगरी में रहें। स्वदेश प्राप्त करने के लिये रत्नचूड़ अटवी में खड़ग के पास विधिपूर्वक उल्टे मस्तक से विद्या को साधने लगे इतने में तो किसी ने उन्हें मार दिया। हम प्रभात में जब पूजा और उपहारादि की वस्तुएं लेकर गये तो वे वहां मरे हुए थे . उनकी मृत्यु क्रिया कर हम अपने स्थान वापस पाई। ... रत्नचूड़ का पुत्र रत्नध्वज पिता की मृत्यु से व्याकुल अटवी में गया वहां उद्योत के भ्रम से मदनसुन्दरी को पति से अलग करके यहां ले आया। मैंने अपनी सुशीला पुत्री की तरह उसे रखा / ये हमेशा पति के गुण गाती थी, यह सुनकर प्रेरणा से पाठकन्याओं ने, वे ही पति वरण करने का निश्चय किया। मणिचूड़ ने नेमित्तिक से पूछा, तब उसने कहा जिस वर को इन कन्यानों ने चुना है वही महासात्विक पुरष तुम्हारा गया हुमा राज्य तुम्हें वापिस दिलाएगा / मणिचूड़ और - रत्नध्वज ने. बस्ती बिना के पवित्र मेरुगिरि के नन्दनवन में विद्या की P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036499
Book TitleVardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddharshi Gani
PublisherVishva Shanti Prakashan
Publication Year
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size136 MB
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