________________ * 804 मध्य रात्रि में उनकी चारों बहुए स्नान करके, शृंगार आदि करके वड़ के वृक्ष पर बैठ कर कहीं गई। मैं डरता हुआ वहां रहा। :: रात्रि के अन्तिम पहर में बाहिर घूम कर बापस आई / वहाँ से निकल कर मैं पंच योजन दूर यहां माया हूं। यह सुनकर श्रीगिरि के राजा श्रीचन्द्र वहां सेना को छोड़ कर अकेले आगे के लिये निकले / ,अदृश्य गोली के प्रभाव से संध्या समय सुघन श्रेष्ठी के घर पाराम के लिये ठहरे। मध्य रात्रि में बहुए स्नान आदि कर शृंगार आदि से सुशोभित होकर घर के बाग में गई / राजा भी उनके पीछे चल पड़ा। शमी वृक्ष पर चढकर परस्पर बातें करने लगी कि कहां चले ? एक ने कहा कि मैंने कर्कोट द्वीप की बातें सुनी हैं इसलिये वहां चलें / श्रीचन्द्र राजा शमी वृक्ष के मूल को पकड कर बैठ गये / बहुए बोलीं, योगिनीनों में मुख्य खर्परा, जो विद्या को देने वाली है उसे हमारा नमस्कार हो। ऐसा कहने पर मन्त्र द्वारा वृक्ष प्राकाश में उड़ने लगा वह कुछ ही क्षणों में कर्कोट द्वीप में पहुंच गया। नगर के नजदीक किसी अच्छे स्थान पर वृक्ष को खड़ा करके, कुतूहल से नगर के अन्दर गयीं, उनके पीछे 2 राजा भी कीड़ा करते हुये आये वे आगे गयीं इसलिये गाजा ने कुतूहल से उस नगर के मुख्य द्वार से अन्दर प्रवेश किया। - विविध जाति के चंदण्वों से युक्त आश्चर्यकारी विशाल मंडप में दीपकों की लाइनें थीं। वहां एक सिंहासन रखा हुआ था प्रागे भाग P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust