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________________ #. 65 * गायक ने कहा कि 'मेरे पिता ने देखा था और दान प्राप्त किया था / उनकी बहुत सी कवितायें हैं परन्तु मुझे नहीं पातीं। दूसरे दिन प्रातःकाल मंत्री राज्य सभा में गये तो राजा ने पूछा कल रात को आप क्यों नहीं आये ? मंत्रियों ने जो सुना था कह सुनाया, कुछ हसकर राजा अवनत मुख होकर मौन रहे / लक्ष्मण मंत्री सोचने लगा ये वे ही होने चाहिये / मंत्री को विचाराधीन देख, राजा चतुरंग सना सहित वन में गये / अश्वों द्वारा बहुत क्रीड़ा करके विश्रान्ति के लिये आम्र वृक्ष के नीचे बैठे और जाति के अनुसार अलग 2 तरह के घोड़े निकालते हैं, इतने में पश्चिम दिशा की तरफ से जिसके कन्धे पर लकड़ी और हाथ में जल पात्र है ऐसे देदीप्यमान गोल मुख वाले और ऊंचे कपाल वाले, एक मुसाफिर को दूर देश से आया हुआ जानकर सैनिकों द्वारा बुलाया। वे जितने में राजा के पास पाता है दूर से ही पीचन्द्र गजा को . देखकर हर्ष के आंसुओं सहित उसने कहो कि 'अहो आज बादल बिना वृष्टि अहो ! पुष्प बिना फल, अहो मेरा पुण्य, मैंने अपने स्वामी को देख लिया / ' उसको श्रेष्ठ गुणचन्द्र जानकर राजा ने तत्काल आलिंगन किया। श्रीचन्द्र के चरण कमलों में मस्तक को भ्रमर की तरह बहुत लम्बे समय तक झुका कर नमस्कार करके उचित ग्रासन पर बैठा / राजा के मित्र को मन्त्रियों ने और नगर के लोगो ने बड़े आदर से नमस्कार किया। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036499
Book TitleVardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddharshi Gani
PublisherVishva Shanti Prakashan
Publication Year
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size136 MB
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