________________ * 51 10 हो सकता है। कहा है कि हे माता ! दूसरे की प्रार्थना को नहीं स्वीकारने वाले पुरुष को तू जन्म देती नहीं प्रौर जिसके द्वारा प्रार्थना का भंग होता हो उसे तो उदर में भी धारण नहीं करती। श्रीचन्द्र ने पूछा कि क्या तत्व है ? तेरे क्या कार्य हैं ? तुझे क्या चाहिये ? सुवर्ण सिद्धि किस तरह होती है ?' योगो ने कहा कि 'रात्रि को श्मशान में श्रेष्ठ पुरुष के मुर्दे से और सत्वशाली पुरुष के सानिध्य से वह सुवर्ण सिद्धि होती है / दूसरी सामग्री सुलभ है / श्रीचन्द्र ने कहा कि हे योगीन्द्र ! तुम वहां जाकर सब सामग्री तयार करो मैं निश्चय वहां आऊंगा।' जब वह गया तब पत्नी ने पूछा कि हे राजाओं के इन्द्र ! योगी ने क्या कहा था ? श्रीचन्द्र ने योगी का कहा हुआ सारा वृतान्त कह सुनाया / कापते हुए अंग वाली मदनसुन्दरी ने कहा कि 'हे नाथ ! यह आप क्या कह रहे हैं ?' ये योगी तो हमेशा कूट आचरण वाले और निर्दयी होते हैं / मैं आपको यहां से कहीं भी नहीं जाने दूंगी / इस प्रकार विवाद करते रात्रि शुरु हुई, मदनसुन्दरी ने श्रीचन्द्र के वस्त्र को पकड़ा हुआ है छोड़ती नहीं है। श्रीचन्द्र ने कहा कि हे प्रिये ! उज्जवल आत्मा का भविष्य उज्जवल होता है जिसके मन, वचन और काया शुद्ध है उसे कदम 2 पर संपदा प्राप्त.होती है / ___ 'जिसका अन्तर मलीन होता है उसे स्वप्न में भी सुख दुर्लभ है। इसलिये तू दुखी क्यों होती है ! श्री नमस्कार महामंत्र के प्रभाव से जो होगा शुभ ही होगा / तू बन्दरी होकर वृक्ष पर चढ़कर निर्भय हो जा तुझे दुख है परन्तु योगी को कहा हुआ यह कार्य तो करना ही चाहिये / इस प्रकार कहकर मंजन से मदनसुन्दरी को बन्दरी बनाकर P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust