________________ * 45 4 प्राया ? तब श्रीचन्द्र ने जो घटना घटी थी वह यथास्थित कह सुनाई। खराब मन्त्री से राजा पीड़ित होता है, फल अवधि पर पकता है ताप लम्बे अरसे में टीक होता है और पापी पाप से पीड़ित होता है / उस दिन वहीं रहकर पत्नी सहित सारभूत रत्न और अंजन के दोनों कुप्पों को लेकर जिस रास्ते से. आये थे उसी रास्ते से बाहर निकल कर शिला से गुफा के द्वार को बन्द कर पृथ्वी में बहुत सा धन गाड़ कर जिसके हाथ में चन्द्रहास खड्ग उल्लसित है ऐसे श्रीचन्द्र सिंह की तरह अटवी को पार कर एक गांव के नजदीक पाये / सरोवर की पाल पर रुक कर उन्होंने कहा हे प्रिया ! यहां उपवन में ठहर कर रसोई बनाकर भोजन करते हैं। मदनसुन्दरी ने कहा 'पाप सामग्री ले आइये / में खाना बनाऊगी। सारी सामग्री माली से लेकर मदनसुन्दरी ने प्रति घी वाले घेवर, पूरी प्रादि वस्तुयें बनाई / प्रतापसिंह के पुत्र ने स्नान करके आभूषणों से भूषित होकर उत्तम तीर्थ की तरफ मुह करके देववदन की। तब अंगूठी पर. नाम देखकर मदनसुन्दरी को पति का नाम मालून हुप्रा / पहले भाट स सुना था कि 'कुशस्थल राजा के पुत्र रूप, स्फूर्ति बल और कला से युक्त श्रीचन्द्र हैं। वही ये श्रीचन्द्र हैं ऐसा जानकर अति आनन्दित होती हुई उनके प्रौदार्य आदि गुणों से अति हर्षित हुई राजकुमारी ने कहा 'हे विभो ! भोजन के लिये पधारो। ..... श्रीचन्द्र ने कहा कि 'हे भद्रे / आज प्रिया के हाथ से बना हुआ भोजन पहली बार तैयार हुआ है इसलिये मुनि महाराज को बहराकर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust