________________ वेष्टा से तो मनुष्य प्रतीत होती है परन्त दिखने में बंदरी इसका क्या कारण है मैं जानना चाहता हूँ / . . . . . . . . रुदन करती बंदरी ने दीवार में एक आला था वह बताया और बार बार अपने नेत्र दिखाने लगी। उसके इशारे से उठ कर उस तरफ गये वहां अंजन से भरी हुयी दो डिबियें देखी, एक श्याम रंग की थीं दूसरी सफेद बंदरी के संकेत से, काले रंग का मंजन श्रीचन्द्र ने उसके नेत्रों में डाला / उसके अद्भुत प्रभाव से बंदरी दिव्य वेश तथा अलंकार पहनी हुई कन्या के रुप में बदल गई। इस कौतुक को देखकर श्रीचन्द्र बोले 'हे भद्रे तू कौन हैं ? यह स्थान कौनसा है और तुझे बंदरी किसने - बनाया है। . . ! .. . / .. . हर्ष और लज्जा युक्त कन्या ने कहा, 'हे नाथ ! हेमपुर में बाकरध्वज राजा के मदनावली रानी है उनकी पुत्री मैं मदनसुन्दरी हूँ। मैं मदनपाल की छोटी बहिन, माता पिता को प्रिय ऐसी मैं अनुक्रम से योवनावस्था को प्राप्त हुयी / मैं पुरुष के 3.2 लक्षणों को जानती हूँ। / मैने प्रतिज्ञा की कि मैं बत्तीस लक्षणों से युक्त मनुष्य से शादी करु गी। एक दिन राजसभा में एक याचक ने प्रतापसिंह के पुत्र के गुण-गान गाये को 'दान रुपी पंखे से उत्पन्न हुन्ना श्रीचन्द्र का यश रुपी पवन, नये अर्थी रुपी रज को सन्मुख लाता है। राजा ने उसका सन्मान कर उसके साथ विवाह की मंत्रणा की। . . !- 14/ .. .. . एक दिन मैं सखियों सहित उद्यान में क्रीड़ा के लिये गुई, वहां पुष्पों के क्रीडा गृह में से किसी विद्याधर ने मुझे उठा लिया, परन्तु P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust