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________________ * 30 * स्त्री के चार भेद मैं जानता हूँ इसलिये तू लिख कर उन्हें याद कर ले निष्फल हो जायेगा। मदनपाल ने कहा कि अब पढ़ने का टाइम ही लिये बहुत मेहनत की है परन्तु मैं अभागी हूँ। अब मैं बताऊ वसा करो / तुम मेरे से छोटे लगते हो परन्तु रूप में मेरे ही समान हो और अब तुम आभूषण पहनोगे तो बहुत सुन्दर लगोगे इसलिये तुम मेरा वेष पहन कर कन्या से शादी करके मुझे सौंप देना / जो काम तुम्हें भविष्य में करना था वह अभी कर लो / परोपकारी पुरुष याचना का मंग नहीं करते। . श्रीचन्द्र ने कहा अच्छा तुम्हारे कहे अनुसार करता है। बाद में वेष बदल कर मदनपाल अपने रूप में और श्रीचन्द्र अपने वेष में शोभायमान होने लगे। वे दूसरों के वेष से नहीं अपने वेष से शोभ रहे थे / उनके सारे मांगलिक रीति रिवाज राज्य की स्त्रियों ने ही किये। श्रीचन्द्र ने स्वर्ण रत्नों से जड़ित मुकट धारण किया, कानो पर कुडल। व हाथ में अपने नाम की अंगूठी पहनी / देदिप्यमान राजा की भांति वे हाथी पर सवार हुए, ऊपर छत्र व दोनों तरफ चामर डुलने लगे और बाजे बजाने वाले प्रागे चलने लगे। अनेक सैनिकों आदि के साथ वह जुलूस सारे शहर में फिरता हुआ राज्य सभा में पाया / भाट ने श्रीचन्द्र की जय जयकार की और कहा धनवती आदि P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036499
Book TitleVardhaman Tap Mahima Yane Shrichand Kevali Charitram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSiddharshi Gani
PublisherVishva Shanti Prakashan
Publication Year
Total Pages265
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size136 MB
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