________________ * 24 110 पाया। उसे देखकर श्रीचन्द्र ने पूछा यह कौनसी नगरी है ? तुम्हें क्या चिन्ता है? निश्वास डालकर वह बोला हे मुसाफिर ! यह कान्ति नामक नगरी है। इसमें नरसिंह राजा के चौसठ कला युक्त सुन्दर प्रियंगुमंजरी पुत्री है। उसे प्राप्त करने की मुझे चिन्ता है / मैं कौन हूँ, अब यह सुनो। नैऋत्य दिशा में हेमपुर नगर में है वहां मकरध्वज राजा के मदनपाल नामक पुत्र था। युवावस्था को प्राप्त हुआ वह राजकुमार एक बार गवाक्ष में बैठा हुआ था। उसने रास्ते में जाती हुई एक योगिनी को. देखा और अपने पास बुलाकर पूछने लगा आप कुशल तो हैं ? कहां से आई हैं और कहां जा रही हैं ? कोई अद्भुत घटना हो तो सुनाओ। योगिनी ने कहा 'जरा के आगमन से यौवन नष्ट हो जाता है / दिन प्रतिदिन कान्ति घटती जाती है। इसलिए हे भद्रिक ! कुछ न पूछो बुढ़ापा जब आता है तो यौवन स्वप्न मात्र रह जाता है। प्रति क्षण हानि, बहुत ही हानि हो रही है / जब तक काल राजा का आगमन नहीं होता तभी तक यौवन शोभा देता है। इसलिए हे भद्रिक ! कुशल न पूछ / कोई एक घड़ी और कोई दो पहर खुशी के मानता है तो मूर्ख है। जब तक जीव यमराज को भूला हुआ और उस पर दृष्टि नहीं रखता तब तक ही जीव खुश हैं। बुढ़ापा सवको आकर पकड़ बेता है। जो पूर्ण रुप से सुखी होते हैं वे जन्मते ही नहीं। जो जन्मते हैं .. वो मृत्यु को अवश्य प्राप्त होंगे। हम भी मृत्यु के मुख में बैठे हुए हैं / जब P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust