________________ * 22 10 कर गये / वीरमती पुत्र, मंत्री आदि सहित कुन्डलपुर नगर जाते हुए क्रमशः महेन्द्रपुर नगर में आई। वहां के राजा ने जब सुना तो उन सबको राज सभा में बुलाकर उनसे सारा वृतांत सुना / सुलोचना पौर चन्द्रलेखा दोनों के सम्बन्ध बहनों जैसे हो गये / सब को बहुत मानन्द हुआ। इतने में ही एक भाट कुन्डलपुर नगर की तरफ से होकर आया था, वह श्रीचन्द्र के गुण गाने लगा। 'जिसने राधावेघ में विजय प्राप्त की, तिलकमंजरी ने जिसे परमाला पहनाई, सिंहपुर के राजा की पद्मिनी पुत्री से जिसकी शादी हुई जो प्रतापसिंह गजा का पुत्र है जिसका कुंडलपुर में वास स्थान है इत्यादि तरह 2 के उसने श्लोक बोले / राजा के पुत्र ऐसे श्रीचन्द्र ने आग्रह पूर्वक वीरमती को यहीं रहने का कहलाया परन्तु वे नहीं रहे और कुन्डलपुर के लिये प्रस्थान कर गये। उघर मागे जाते हुए श्रीचन्द्र ने नगर के बाहर तंबू, घोड़े, हाथी, रथ तथा सुन्दर 2 वेष वाले सैनिकों को देखा / वहां दान दिया बाते देख श्रीचन्द्र ने किसी व्यक्ति से पूछा 'ये सब क्या हो रहा है ?' उसने कहा हे बटुक ! यह कपिलपुर नगर है। यहां के राजा का नाम जितशत्रु है उसके प्रीतिमती नाम की पटरानी है और वह रतिरानी की बहन होती है / उनका पुत्र कनकरथ मित्रों के साथ अभी राधावेध का अनुकरण कर रहा है। एक समय गायकों में शिरोमणी वीणारव ने कभी भी नहीं सुना हुआ श्रीचन्द्र राजा का चरित्र सुनाया / यह सुनकर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust