________________ * 19 * के प्राभूषणों से जिसका अंग विभूषित है। जिसका मुख कोमल है एसी दुसरी कन्या को उसके आस पास घूमते देखा। श्रीचन्द्र को आये हुये देखकर तापसकुमार ने कहा, हे सखी ! तेरे सौन्दर्य से आकर्षित यह पुरुष पाया इसका फल फूल देकर आदर करो। सखी ने आदर पूर्वक कहा, 'हे बटुक इस रायण वृक्ष के नीचे और पूछने लगा तुम कौन हो और यह कौन है ? इतने में एक सुन्दर गला गाती हुई आयी, सर्व कलाओं से युक्त चन्द्रकला राजकन्या ने जिसे स्वयं परख कर स्वीकार किया है ऐसे श्रीचन्द्र जय को प्राप्त हों / ऐसा सुन कर श्रीचन्द्र पूछने लगे, ये क्या बोलती है ? वह कौन है ? और यह कौनसा स्थान है ? इतने में ही एक श्वेत वस्त्रधारी विधवा वृद्धा ने उस पुरुष वेषधारी कन्या को स्त्री वेश दिया। वृद्ध स्त्री ने बटुक से पूछा, 'हे भद्र ! तुम कहां से आये हो ? बटुक ने कहा, 'मैं कुशस्थल से आया हूँ।' यह सुनकर सबको बहुत मानन्द हुा / उन लोगों ने यह समाचार दूसरों को भी पहुंचा दिया, जिससे दुसरे सारे लोग बटुक के चारों ओर आकर बैठ गये। भ्रान्ति से वाला ने पूछा चन्द्रकला का पति कौन हुआ ? उसका वर्णन करो। श्रीचन्द्र ने कहा वह बाला गाती 2 आयी है वह सत्य है, लक्ष्मीदत्त श्रेष्ठी के पुत्र से शादी हुई है।' कुशल बुद्धि वाले श्रीचन्द्र ने फिर उस वृद्धा से पूछा कि हे माता ! आप यहां कैसे आयी हुयीं हैं मारि वृतान्त कहने योग्य हो तो कहो। .. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust