________________ 61 बहुत आश्चर्य हुआ, श्रीचन्द्र उस नगर में प्रवेश करने ही वाला था इतने में एक तोती उड़ती हुई घबराई हुई सी वहां आई और कहने लगी, हे मुसाफिर 1 इस नगर में मत जायो। इस नगर में जाने वाले को विघ्न आता है। श्रीचन्द्र ने पूछा कि 'इस नगर और यहां के राजा का क्या नाम है ? यह नगर शून्य किस तरह हो गया है ? यहां किसका डर है ?' तोती बोली कि 'कुन्डलाचल देश में प्रसिद्ध कुन्डलपुर नाम का यह नगर है यहां अर्जुन नाम का राजा राज्य करता था। उसके पांच रानियां थीं। मुख्य रानी का नाम सुरसुन्दरी था। कुन्डलपुर में 6-7 दिन में एक चोरी हो जाया करती थी। कोतवाल आदि चोर की खोज करते पर चोर पकड़ में नहीं आता था / एक रात राजा चोर को पकड़ने निकला। रास्ते में राजा ने किसी को घुमते हुए देखा, राजा ने चुपचाप उसका पीछा किया। चोर समझ गया कि राजा उसका पीछा कर रहा है / चोर ने नगर के बाहर आकर राजा की नजर से बचकर किसी एक मठ के अन्दर जाकर चोरी किया हुआ रत्नों का डिब्बा सोये हुए परिव्राजक के पास रखकर परिव्राजक का वेश पहन क अदृश्य हो गया। जब प्रातःकाल हुआ तब अर्जुन राजा ने उस परिव्राजक को चोर समझकर पकड़ लिया और उसे मरवा डाला / वह मृत्यु के बाद राक्षस हुभा / " .. 'बदला लेने की भावना से उस राक्षस ने यहां के राजा को मार P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust